अहमदाबाद– जो किसान अभी तक सिर्फ फसलों के जरिए कमाई करते थे उनके लिए खुशखबरी है, किसान अब अनाज से निकलने वाले भूसे को भी अपनी कमाई का जरिया बना सकते हैं। कुछ वक्त पहले तक किसान भूसे का इस्तेमाल सिर्फ पशु आहार के तौर पर ही काम में लाते थे, लेकिन आज यही भूसा पैसा कमाने का जरिया बन रहा है। बहुत से किसानों ने इसकी उपयोगिता जानी और आज वो लाखों रुपए महीनें कमा रहे हैं, लेकिन अब भी बहुत से किसान इसकी उपयोगिता से अनजान हैं। किसान यदि इसे अपना लेता है तो वह केवल भूसे से लखपति बन जाएगा। जिन किसानों या व्यापारियों के पास पैसा है, वे भूसा आधारित उद्योग लगा सकते हैं और कमाई कर सके हैं।
भूसे का उपयोग
भूसे से व्हाइट कोल बनाई जाती है और ईंधन के तौर पर इसका उपयोग किया जाता है। साथ ही सीमेंट उद्योग, कपड़ा उद्योग, बिजली संयंत्र सहित ऐसे अन्य सभी संयंत्रों में भूसे से बने व्हाइट कोल की सर्वाधिक मांग है। यह भूगर्भ में निरंतर घट रहे कोयले का एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
आने वाले दिनों में पशु आहार में भी भूसे की और अधिक मांग बढ़ेगी क्योंकि सरकार की नीतियां गांवों में पशु-पालन को भी बढ़ावा देने की है। भूसे से न सिर्फ व्हाइट कोल बनाई जा रही है बल्कि इससे पेपर नैपकिन, प्लायबोर्ड, ब्रिक्स, टॉयलेट नैपकिन्स आदि बनाई जा रही हैं। ईंधन की जिन उद्योगों में खासी जरूरत होती है, वहां इनकी इतनी मांग है कि वर्तमान में जो लोग इसके कारोबार में लगे हैं, वे पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं।
गेहूं और धान के डंठल से बनाया जा रहा है इथनॉल
आपको बता दें कि अब गेहूं और धान के डंठल से इथनॉल भी बनाया जा रहा है। उत्तराखंड के उधमसिंह नगर में 35 करोड़ की लागत से डंठल से इथनॉल बनाने का प्लांट लगाया जा चुका है। इसकी रोजाना क्षमता तीन हजार इथनॉल बनाने की है। गौरतलब हो कि इथनॉल का प्रयोग शराब बनाने में किया जाता है। अब सरकार गेहूं और धान के डंठल से इथनॉल बनाने पर केंद्रित कर रही है, ताकि किसानों की आय भी बढ़े और खेतों से निकले ठंडल से पर्यावरण को नुकसान भी ना पहुंचे।
रिपोर्ट- @तुलसी भाई पटेल