ये दिमाग से कमजोर है और उसका दिमाग तेज है। अभी तक इस तरह का भेद तो सुना और साबित भी किया जा चुका है, लेकिन अब नई बात सामने आई है कि दिमाग के इस्तेमाल में भी लिंगभेद है। यानी लडके सीखने में दिमाग के किसी और भाग का इस्तेमाल करते हैं तो लडकियाँ किसी और भाग का। यह साबित हो चुका है। जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के न्यूरो विशेषज्ञ श्री माइकल उलमॅन ने व्याकरण के आधार पर यह साबित कर दिखाया है। व्याकरण सीखने पर जो उच्चारण लडके करते हैं और जो उच्चारण लडकियाँ करती हैं, दोनों में भेद होता है। ये भेद आवाज का नहीं उच्चारण का होता है और इसी से यह साबित हुआ कि किस तरह से सीखने में दिमाग का इस्तेमाल भी लडके और लडकियाँ अलग-अलग करते हैं।
ऐसे पता चला
हालाँकि पढने के दौरान लिंग भेद की उपेक्षा की जाती है। परंतु भाषा संज्ञान में यह भेद है। डेवलपमेंटल साइंस में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि लडके भाषा के मामले में पूरी तरह से हावी हो जाते हैं, जबकि लडकियों को शब्दों के बारे में सोचना पडता हैया याद करना पडते हैं। शोध के मुताबिक जब बच्चों ने वाक्य बोलने में गलतियाँ की, तब यह समझ में आया कि लडके-लडकियाँ दिमाग के अलग-अलग हिस्सों का इस्तेमाल करते हैं।
ऐसा किसलिए होता है
पुरहृष और महिला शब्दों की दिमाग में प्रोसेसिंग भी अलग-अलग तरह से करते हैं। इसका कारण है एस्ट्रोजेन हार्मोन। ये हार्मोन महिलाओं में ज्यादा होते हैं और मस्तिष्क में प्रोसेसिंग को प्रभावित करते हैं। इस शोध के लिए उलमॅन और उनके साथियों ने 10 लडके और 15लडकियों पर परीक्षण किया। इन बच्चों की आयु 2 से 5 साल की थी। ये अँगरेजी में भूतकाल के शब्द चयन में हमेशा गडबड करते थे। साथ ही क्रिया में भी स्पष्ट नहीं रहते थे।
ये भी सही है
यही स्थिति पाकशास्त्र को लेकर भी है। यदि लडका भोजन बनाना सीखेगा तो अलग तरह से और यदि लडकी सीखेगी तो उसके सीखने का तरीका अलग होगा।