खंडवा लोकसभा से भारतीय जनता पार्टी ने जहां वर्तमान सांसद नंदकुमारसिंह चौहान पर भरोसा जताया है वहीं कांग्रेस में इस बार नया प्रयोग किया जा सकता है। खंडवा लोकसभा क्षेत्र से स्थानीय प्रत्याशी की मांग को देखते हुए पूर्व सांसद स्वर्गीय कालीचरण सकगाये की पुत्रवधु सुनीता सकरगाये को कांग्रेस प्रत्याशी में बनाया जा सकता है। कांग्रेस सूत्रों में मिल रही जानकारी के अनुसार पूर्व सांसद अरूण यादव इस बार चुनाव लडऩे के मुड में नहीं दिख रहे हैं।
खंडवा : खंडवा लोकसभा क्षेत्र से पिछले कई वर्षो से स्थानीय प्रत्याशी की उठ रही मांग पर विराम लग सकता है। भारतीय जनता पार्टी ने सांसद नंदकुमारसिंह चौहान को मैदान में उतारा है। इसके मुकाबले पूर्व सांसद अरूण यादव को सबसे प्रबल उम्मीदवार माना जा रहा है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से चल रही अटकलों के बीच यह खबर निकल कर आई है कि महिला कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सुनीता सकरगाये स्थानीय उम्मीदवार के रूप में सहमति बन सकती है। चुनावी अटकलों के बीच इस खबर पर और जोर इसलिए मिल रहा है कि कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा स्थानीय प्रत्याशी की मांग के लिए दिल्ली-भोपाल के चक्कर लगा रहा है। ऐसे में अगर सुनीता सकरगाये के नाम को स्वीकृति मिलती है तो अरूण यादव विरोधी गुट भी इसे स्वीकार कर सकता है।
बुरहानपुर विधायक का खुला विरोध
बुरहानपुर के निर्दलीय विधायक सुरेन्द्रसिंह शेरा अपने परिवार से कांग्रेस प्रत्याशी बनाने की मांग कर रहे हैं और सार्वजनिक मंचों से विरोध दर्ज करा चुके हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेतागण बुरहानपुर विधायक की चेतावनी को हलके में न लेते हुए डेमेज कंट्रोल करने में लगे हुए है। सूत्रों के अनुसार दिल्ली में अब तक कई बैठकें हो चुकी है जहां पर सुरेन्द्र सिंह को मनाने की कोशिश की गई लेकिन वर्तमान परिस्थिति को देखकर ऐसा नहीं लगता कि सुरेन्द्रसिंह मानने वाले हैं।
26 बिग्रेड की मुखालफत
खंडवा के वरिष्ठ कांग्रेसियों का एक ग्रुप जिसे 26 बिग्रेड के नाम से जाना जाता है ये खुलकर पूर्व सांसद अरूण यादव की मुखालफत कर रहे हैं और स्थानीय प्रत्याशी की मांग को लेकर डटे हुए हैं। इस ग्रुप में शामिल कांग्रेस के सभी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले ऐसे नेता है जो चुनावी परिणाम प्रभावित कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार स्थानीय प्रत्याशी के नाम पर ये किसी के साथ भी जाने का तैयार हैं। गौरतलब है कि अरूण यादव को वर्ष 2009 में मिली जीत का रणनीतिकार इसी 26 बिग्रेड को माना जाता रहा है।
ऐसे आया चर्चा में नाम
महिला कांग्रेस नेत्री सुनीता सकरगाये का नाम अचानक कांग्रेस प्रत्याशी की पैनल में आने को लेकर खबरों का बाजार गर्म है। कांग्रेसी सूत्रों के अनुसार पूर्व सांसद अरूण यादव इस मर्तबा लोकसभा चुनाव लडऩे के मुड में नहीं दिख रहे हैं। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि उन्होंने ही स्थानीय और महिला प्रत्याशी के तौर पर सुनिता सकरगाये का नाम आगे बढ़ाया है।
सुनीता सकरगाये क्यों
कांग्रेस से पूर्व सांसद स्व. कालीचरण सकरगाये वर्ष 1984-89 तक सांसद रहे। इनके बाद कांग्रेस ने स्थानीय प्रत्याशी के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री भगवंतराव मंडलोई के परिवार से अमिताभ मंडलोई को मैदान में उतारा था। अमिताभ मंडलोई के बाद से लगातार खंडवा से स्थानीय प्रत्याशी की मांग दोनों ही राजनैतिक दलों और जनता से उठती रही। ऐसे में अगर सुनीता सकरगाये को कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारती है तो एक बड़ा वोट बैंक श्रीमती सकरगाये के पक्ष में आ सकता है। सुनिता सकरगाये पूर्व में महापौर का चुनाव कांग्रेस से लड़ चुकी है। जिसमें उनका मुकाबला पूर्व मंत्री विजय शाह की पत्नी भावना शाह से हुआ था। हालांकि यह चुनाव वह बहुत कम अंतर से हारी थी।
भाजपा की अंर्तकलह से कांग्रेस को उम्मीद
खंडवा लोकसभा क्षेत्र में जहां कांग्रेस गुटबाजी में उलझी हुई है तो वहीं भाजपा भी इससे अछूती नहीं है। वर्तमान सांसद नंदकुमारसिंह चौहान भी अरूण यादव की तरह ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर है। भाजपा में चल रही अंर्तकलह और गुटबाजी पिछले विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण से सामने आने लगी है और विधानसभा के चुनाव परिणाम के बाद से यह अंर्तकलह और गुटबाजी आए दिन देखने को मिल रही है। ऐसे में नंदकुमारसिंह चौहान के लिए भी राह आसान नहीं है। भाजपा की गुटबाजी से कांगे्रेस अपनी नैया पार कराने की उम्मीद पाल बैठी है।
अंत में
खंडवा लोकसभा क्षेत्र में टोटल आठ विधानसभा आती है जिनमें चार पर कांग्रेस, तीन बीजेपी और एक पर निर्दलीय है। ऐसे में खेमों में बटी कांग्रेस अगर एकजुटता से चुनाव लड़े तो परिणाम कांग्रेस के पक्ष में जा सकता है। वैसे पिछली मर्तबा नंदकुमारसिंह चौहान ने करीब ढाई लाख मतों से विजयश्री हासिल की थी और अभी हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में आठो विधानसभा से कांग्रेस को भाजपा से करीब 50 हजार अधिक मेट मिले है