नई दिल्ली : आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है। मामले की सुनवाई कर रही पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने बुधवार को सरकार से काफी कड़े सवाल पूछे। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ के सदस्य जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा कि संसद ने आधार बनाने वाले यूआईडीएआई को जरूरत से ज्यादा अधिकार तो नहीं दे दिए हैं।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कल को यूआईडीएआई कह सकता है कि डीएनए टेस्ट करने के लिए खून के नमूने दो। क्या यह आधार बनाने वाले यूआईडीएआई को दी गई ज्यादा ताकत नहीं है। संवैधानिक पीठ ने केंद्र सरकार से पूछा कि आपने कानून बनाकर आधार बनाने वाली संस्था UIDAI को बॉयोमेट्रिक लेने का अधिकार दे दिया। आगे चलकर आप डीएनए सैंपल मांगने का अधिकार भी इस संस्था को दे सकते हैं। कोर्ट ने पूछा, ‘क्या ऐसा करके किसी एक अथॉरिटी को ज्यादा शक्ति नहीं दे रहे हैं? क्या यह निजता के अधिकार का हनन नहीं होगा।’ इस पर वेणुगोपाल ने जवाब दिया कि वह भविष्य में क्या-क्या मांगा जा सकता है इसको लेकर कुछ नहीं कह सकते। हां, खून, पेशाब, डीएनए जोड़े जा सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बैंकों में धोखाधड़ी पर आधार के जरिए लगाम नहीं लगाई जा सकती है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि बैंक जानता है कि वो किसे कर्ज दे रहा है और बैंक अधिकारी जानते हैं कि वो किसका लोन पास कर रहे हैं। केंद्र सरकार की ओर से आधार को लेकर दलील दी गई थी कि आधार की अनिवार्यता इसलिए भी जरूरी है कि वो सिस्टम से भ्रष्टाचार को साफ कर देगा और बैंक फ्रॉड भी इससे रुक जाएंगे। केंद्र की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने इससे नाइत्तेफाकी जाहिर करते हुए कहा है कि बैंकों में हो रहे फ्रॉड आधार के जरिए रुक जाएंगे, ये कुछ ठीक नहीं लगता है। न्यायलय ने कहा कि आधार बैंक घोटाला रोकना का कोई कारगर उपाय नहीं है। कोर्ट ने कहा कि घोटालेबाजों की पहचान को लेकर तो कहीं कोई परेशानी है ही नहीं।
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में वर्ल्ड बैंक समेत कई रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत में पहचान की दिक्कत काफी कमजोर है। उन्होंने कहा कि सभी को पहचान देने के लिए सरकार काम कर रही है। अटॉर्नी जनरल ने मामले में कोर्ट से दखल ना देने की अपील करते हुए कहा कि इस मामले में आगे बढ़ना मुश्किल हो जाएगा।