सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को रमजान के दौरान मतदान का समय सुबह 5 बजे करने की मांग पर विचार करने के लिए कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल एक याचिका के आधार पर किया है जिसमें मतदान का वक़्त सुबह 7 बजे की बजाय 5 बजे करने की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर चुनाव आयोग ने कोई जवाब नहीं मांगा है। कोर्ट ने आयोग से सिर्फ जानने की कोशिश की है कि वह इस तरह की गुज़ारिश को मान सकते हैं या नहीं।
बता दें चुनाव शुरू हो जाने के बाद कोई बड़ी चूक या उल्लंघन के अलावा सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग के काम में दखल नहीं दे सकता है। इसलिए ये पूरी तरह से चुनाव आयोग पर निर्भर करता है कि वह इस पर क्या फैसला लेगा।
सुप्रीम कोर्ट में डाली गई इस याचिका में सिर्फ रमज़ान ही नहीं बल्कि लगातार बढ़ती गर्मी के कारण भी इस पर विचार करने के लिए कहा गया है।
बता दें रमज़ान 5 जून से शुरू हो रहे हैं जिसके बाद तीन चरण के चुनाव होने हैं। रमज़ान के बाद के तीन चरणों में 6 मई, 12 मई और 19 मई को मतदान होंगे।
गौरतलब है कि 10 मार्च को लोकसभा चुनावों की घोषणा लगने के बाद ही कुछ राजनीतिक दलों और धार्मिक गुरुओं ने चुनाव के ज़्यादा चरणों को लेकर ऐतराज़ जताया था।
टीएमसी नेता और कोलकाता म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के मेयर फरहद हकीम में कहा था कि चुनाव आयोग ने रमज़ान के वक्त चुनाव की तारीखें रखी हैं, ताकि अल्पसंख्यक वर्ग वोट न डाल सके।
उन्होंने कहा कि रमज़ान में चुनाव होने की वजह से लोगों को वोट डालने में दिक्कत होगी।
वहीं दिल्ली आप विधायक अमानतुल्लाह ने आरोप लगाते हुए कहा है, ’12 मई को दिल्ली में वोटिंग का दिन रखा गया है। जबकि उस दिन जुमा भी होगा और रमज़ान का महीना भी होगा। जिसके चलते मुसलमान कम वोट करेगा और इसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा।’
वहीं समाजवादी पार्टी विधायक अबु आजमी ने कहा कि मुसलमान के लिए रोजा रखकर वोट करना तकलीफ भरा है।
रमजान में वोट प्रतिशत गिरेंगे जिसका फायदा बीजेपी को होगा।बीजेपी मुसलमानों से उनका वोटिंग राईट छीनना चाहती है।
मुसलमान इस बार सेक्युलर पार्टियों को वोट देने का मन बना चुका है। रमजान में आने वाले चुनावों को रमजान शुरू होने से पहले करा लेना चाहिए।
लखनऊ ईदगाह के इमाम और मुस्लिम मामलों के जानकार मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने मई में रमज़ान के दौरान होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर कड़ी नाराजगी जताई थी।