केंद्र सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिलाया की आपदा कानून के तहत डॉक्टर और नर्सों को सैलरी ना देना एक अपराध माना जाएगा। सरकार इसकी घोषणा कल करेगी और सभी राज्यों को निर्देश जारी करेगी।
नई दिल्ली : देश में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। कोरोना महामारी से लोगों को बचाने के लिए देशभर के हेल्थ वर्कर अपने परिवार को छोड़कर दिन रात मरीजों की देखभाल में लगे हुए हैं।
इन सब की बीच कई जगहों से ऐसी खबरें आ रही हैं, जहां पर हेल्थ वर्कर्स को वेतन तक समय पर नहीं दिया जा रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में बड़ा फैसला सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक देश में अब हेल्थ वर्कर को सैलरी ना देना एक कानूनी अपराध माना जाएगा। केंद्र सरकार की ओर से राज्यों में ये आदेश कल से जारी होंगे।
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान बताया गया कि कई सरकारी अस्पताल में डॉक्टर और नर्सों को कई महीने से सैलरी नहीं दी गई है। फिर भी वो करोना के काम में लगे हुए हैं।
साथ ही इन हेल्थ वर्कर को करोना से जुड़ी कई तरह की सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं, जिससे उनकी परेशानी बढ़ गई है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि देशभर में डॉक्टरों और नर्सों को जल्द बकाया सैलरी दी जाए। साथ ही अस्पताल के पास ही उनके लिए क्वारंटाइन की सुविधा दी जाए।
केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जेनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार अपनी तरफ से बेहतर करने की कोशिश कर रही है, लेकिन कई चीजें राज्यों के अधीन है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि इस बाबत सभी राज्यों को आदेश जारी किया जाए।
केंद्र सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिलाया की आपदा कानून के तहत डॉक्टर और नर्सों को सैलरी ना देना एक अपराध माना जाएगा। सरकार इसकी घोषणा कल करेगी और सभी राज्यों को निर्देश जारी करेगी।
गौरतलब है कि हेल्थ वर्कर जो की करोना मरीजों के संपर्क में आ रहे हैं, उन्हें सरकार सही जगह पर सात दिनों के लिए क्वारंटाइन करेगी, जिससे उनके परिवार सुरक्षित रह सकें।