नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण(ट्राई) की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया, जिसमें दूर संचार सेवा प्रदाताओं को टेलीफोन पर बातचीत होते-होते नेटवर्क गायब हो जाने की स्थिति (जिसे कॉल ड्रॉप कहा जाता है) में उपभोक्ताओं को मुआवजा देना था। इससे दूरसंचार सेवा मुहैया कराने वाली कंपनियों को राहत मिली है।
न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन ने पिछले साल 16 दिसंबर को जारी अधिसूचना को निष्प्रभावी कर दिया। उल्लेखनीय है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने ट्राई की अधिसूचना को सही माना था।
न्यायमूर्ति नरीमन ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ट्राई की अधिसूचना अनुचित, एकपक्षीय और गैर पारदर्शी है।
सुनवाई के दौरान सेवा प्रदाताओं ने कहा था कि ट्राई का फैसला उपभोक्ताओं की सहयता करने का एक लोकवादी उपाय है। ऐसा इस वजह से कि कॉल ड्रॉप्स कई बाहरी कारणों से भी होते हैं, उनके लिए सेवा प्रदाता कंपनियां जिम्मेदार नहीं हैं।
हालांकि, ट्राई ने कॉल ड्रॉप पर दंड लगाने के अपने फैसले का यह कहते हुए बचाव किया कि इस मुद्दे से निपटने का यह सबसे कम आक्रामक तरीका है। ट्राई ने अदालत से कहा कि सेवा प्रदाताओं को हर हाल में संरचनात्मक ढांचे में अपना निवेश बढ़ाना चाहिए। ऐसा इस वजह से कि ये बहुत अधिक कमाई कर रहे हैं।
भारतीय सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन के महासचिव राजन एस. मैथ्यू ने आईएएनएस से कहा, “हम लोग सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से बहुत खुश हैं। हमलोग जो बहुत पहले से कह रहे थे उसकी इसने पुष्टि कर दी है। उन्होंने कॉल ड्रॉप के लिए बहुत सारी चीजों को जिम्मेदार बताया।”
उन्होंने कहा कि अगले दौर के स्पेक्ट्रम की नीलामी से पहले और टॉवर लगाने, सस्ते दर पर स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराने और बुनियादी ढांचा लगाने के लिए स्थानीय प्रशासन के सहयोग जैसे असली मुद्दे हैं।