नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के बर्खास्त आईपीएस अफसर संजीव भट्ट की उस अर्जी को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने गुजरात के 2002 दंगों में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और एस गुरुमूर्ति को पार्टी बनाने की अपील की थी।
संजीव भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि 2002 के दंगों के दौरान सरकारी मशीनरी के दुरुप्रयोग और बीजेपी और आरएसएस के नेताओं की भूमिका की एसआईटी जांच होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने भट्ट की अर्जी को खारित करते हुए उनपर गुजरात के पूर्व एडवोकेट जनरल तुषार मेहता की ई-मेल हैक करने के मामले में कारवाई करने की अनुमति दे दी. भट्ट ने अपनी अर्जी में सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि तुषार मेहता के ईमेल सीरीज़ की एसआईटी जांच कराई जाए जिसमें उन्होंने इंसाफ को कुचलने की साजिशें की थीं।
भट्ट की इस अपील का विरोध करते हुए गुजरात सरकार ने अदालत में कहा कि दंगों की जांच कर रही एसआईटी ने अपनी जांच में यह माना है कि संजीव भट्ट 27 फरवरी 2002 को सीएम निवास में हुई जिस बैठक में मौजूद रहने का दावा करते है उस बैठक का वह हिस्सा थे ही नहीं. इसलिए उनकी अर्जी में कोई दम नहीं है।
आपको बता दें कि भट्ट ने चार साल पहले मोदी सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा ये कहकर खटखटाया था कि दंगों के फैलने में राज्य सरकार की भूमिका को पर्दाफाश करने से उन्हें रोका गया।