नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी नदी जल विवाद मामले में अपना फैसला सुना दिया। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़़ की पीठ ने तमिलनाडु को 177.25 TMC ( thousand million cubic) पानी देने का आदेश दिया है। अदालत के इस फैसले में तमिलनाडु को मिलने वाले पानी में 15 TMC की कमी की गई है। बता दें कि इससे पहले प्राधिकरण की ओर से 192 TMC पानी देने का आदेश दिया था। वहीं इस फैसले में कर्नाटक को अतिरिक्त 14.75 TMC पानी देने का आदेश दिया गया है। अदालत ने यह फैसला दो मुख्य बिंदुओं पर दिया है जिसमें बेंगलुरु में पानी की दिक्कत और तमिलनाडु के 20 TMC के अंडर ग्राउंड वॉटर को पहले के फैसले में नहीं जोड़ा जाना शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि कर्नाटक के लिए 14.75 टीएमसी पानी का हिस्सा इस तथ्य को देखते हुए बढ़ाया गया है कि बेंगलुरु में पेयजल और कई औद्योगिक गतिविधियों के लिए मांग बढ़ी है। इस फैसले पर तमिलनाडु की ओर से वकील ए. नवनीथकृष्णन ने कहा कि तमिलनाडु को मूल रूप से 192 टीएमसी पानी दिया गया है, जो अदालत के आदेश से कम हो गया है। 14.75 टीएमसी अतिरिक्त पानी कर्नाटक को बेंगलुरू शहर में पेयजल प्रदान करने के लिए दिया गया है। हमें उम्मीद है कि तमिलनाडु सरकार सरकार उचित कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि हम अदालत के फैसले का विश्वास और इसका सम्मान करते हैं। निश्चित रूप से, यह पर्याप्त नहीं है हमने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के समक्ष पानी की कमी को उठाया है। इस मुद्दे को हल करने के लिए दो योजनाएं हैं, जिनमें से एक गोदावरी नदी को कल्लानई के साथ जोड़ना है।
बता दें, साल 2007 में कावेरी मुद्दे पर तमिलनाडु और कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। 11 सालों में कई बार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कावेरी जल विवाद 150 साल पुराना है। विवाद कावेरी नदी के पानी को लेकर है ये विवाद तमिलनाडु और कर्नाटक राज्य के बीच है। लेकिन बाद में इस विवाद में केरल भी कूद गया। विवाद की मुख्य वजह से इसका उद्गम स्थल, जो कर्नाटक राज्य के कोडागु जिले में है।
कावेरी नदी गभग साढ़े सात सौ किलोमीटर लंबी है जो कई शहरों से होते हुए तमिलनाडु में बंगाल की खाड़ी में गिरती है। कावेरी का 32 हजार वर्ग किलोमीटर हिस्सा कर्नाटक में है तो वहीं 44 हजार वर्ग किलोमीटर तमिलनाडु में है। दोनों राज्यों को सिंचाई के लिए पानी की जरुरत होती है, इसी को लेकर दोनों में विवाद है। साल 2007 में ये विवाद सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो उस समय कर्नाटक का कहना था कि बारिश कम होने के कारण कावेरी नदी का जल स्तर घट गया है, जिसके कारण उसे पानी की ज्यादा जरुरत है और वो तमिलनाडु को पानी नहीं दे सकता। इसी कारण तमिलनाडु ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।