सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा है कि किसी शख्स की जाति अपरिवर्तनीय होती है, जिसे शादी के बाद भी बदला नहीं जा सकता। कोर्ट एक महिला के केस की सुनवाई कर रही थी जिस पर अनुसूचित जाति के शख्स से शादी करने के बाद आरक्षण लेने का आरोप लगा था। महिला ने आरक्षण का फायदा लेते हुए केंद्रीय विद्यालय में अध्यापिका की नौकरी प्राप्त की थी।
अरुण मिश्रा और एमएम शांतनागौदर की बेंच ने सुनवाई के दौरान महिला से कहा कि उन्हें आरक्षण का फायदा नहीं मिल सकता क्योंकि उनका जन्म एक उच्च जाति में हुआ है।
पिछले दो दशकों से सेवारत यह महिला अब वाइस-प्रिंसिपल बन चुकी थी। कोर्ट का कहना है कि अनुसूचित जाति के शख्स से शादी करने के बाद भी उसकी जाति में कोई बदलाव नहीं होगा।
कोर्ट ने कहा कि इसमें किसी तरह के संदेह की बात नहीं है कि जाति का निर्धारण जन्म से होता है। महिला का जन्म अग्रवाल परिवार में हुआ है, जो सामान्य वर्ग में आता है ना कि अनुसूचित जाति वर्ग में।
महिला ने भले ही अनुसूचित जाति के शख्स से शादी की है, लेकिन उसे अनुसूचित जाति का सर्टिफिकेट नहीं मिल सकता।