नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी में प्रदूषण को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने जल प्रदूषण के मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा है कि राजधानी दिल्ली की हालत नरक से भी खराब है। बेहद खफा नजर आ रहे कोर्ट ने यहां तक कह डाला कि दम घोंटकर मारने से अच्छा है सबको एक साथ ही बारूद से उड़ा दिया जाए। यही नहीं, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि पीने का साफ पानी और साफ हवा नहीं मुहैया कराने पर लोगों को मुआवजा देने के लिए क्यों न राज्यों की जिम्म्मेदारी तय की जाए। बता दें की बीएसआई ने देश के 21 शहरों के पानी के नमूने जांचने के बाद दिल्ली को फिसड्डी घोषित किया था। इस रिपोर्ट के बाद केंद्र और राज्य सरकार में ठन गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ‘लोगों को गैस चैंबर में रहने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है? इससे अच्छा है कि लोगों के एक साथ ही मार दिया जाए। 15 बोरों में बारूद ले आइए और उड़ा दीजिए सबको। लोगों को इस तरह क्यों घुटना पड़े? जिस तरह से यहां ब्लेम गेम चल रहा है, मुझे आश्चर्य है।’ कोर्ट ने जल प्रदूषण के मामले का भी संज्ञान लेते हुए कहा है कि केंद्र और राज्य दोनों जांच करें कि दिल्ली का पानी पीने योग्य है या नहीं और उसके बाद सारे आंकड़ें कोर्ट के सामने पेश किए जाएं।
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, ‘दिल्ली की हालत नरक से भी खराब है। आपकी नजर में किसी की जान की क्या कीमत है? आप लोगों से कितनी कीमत लेना चाहते हैं? आपको दिल्ली की कुर्सी पर रहने का अधिकार नहीं है। भारत में लोगों को जीवन इतना सस्ता नहीं है। इसकी कीमत आपको चुकानी पड़ेगी।’
SC asks Punjab, Haryana, UP and Delhi to explain why they should not be asked to compensate people affected by bad air quality
— Press Trust of India (@PTI_News) November 25, 2019
दिल्ली के चीफ सेक्रटरी ने कोर्ट से कहा, ‘दिल्ली सरकार और केंद्र दो पावर सेंटर होने की वजह से प्रशासन में दिक्कत होती है।’ कोर्ट ने कहा कि आपसी मतभेद को अलग रखें और साथ में मिलकर प्रदूषण को दूर करने की योजना बनाएं। कोर्ट ने कहा कि 10 दिन के अंदर शहर में एयर प्योरिफायर लगाने की योजना का खाका कोर्ट में पेश करें।
प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल पलूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) से दिल्ली में चल रही फैक्ट्रियों पर रिपोर्ट फाइल करने को कहा है जिसमें इसके दुष्प्रभाव का ब्यौरा दिया जाएगा। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने सीपीसीबी से दिल्ली की फैक्ट्रियों पर रिपोर्ट देने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के चीफ सेक्रटरी से कहा, ‘हम लोगों के साथ ऐसे व्यवहार कैसे कर सकते हैं और लोगों को मरने के लिए कैसे छोड़ा जा सकता है। बाताइए कि हमारे आदेश के बाद भी पराली जलाने में बढ़ोतरी क्यों हुई है? क्या यह आपकी विफलता नहीं है?’ कोर्ट ने सख्ती से कहा, ‘पंजाब के चीफ सेक्रटरी महोदय, हम राज्य में प्रदूषण के लिए उत्तरदायी सारे क्रियकलाप रुकवा देंगे। आप लोगों को ऐसे मरने नहीं दे सकते। दिल्ली की सांस फूल रही है। आप नियमों को लागू करने में सक्षम नहीं हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि दिल्ली के लोग कैंसर से मर जाएं।’
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से भी कहा कि पराली जलाने के मामले कैसे बढ़ गए। एससी ने कहा, ‘आपने पराली जलाने को रोकने के लिए अच्छा काम किया तो ये मामले बढ़ कैसे गए? पंजाब और हरियाणा दोनों ही कुछ नहीं कर रहे हैं।’
बेहद तल्ख नजर आ रहे सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के चीफ सेक्रटरी से पूछा कि पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं, क्यों आपको और आपकी मशीनरी को दंडित किया जाए? हम आपको छोड़ने वाले नहीं हैं। सबको यह जान लेना चाहिए कि हम किसी को छोड़ने वाले नहीं है। इसपर यूपी के चीफ सेक्रटरी ने कहा कि पराली जलाने वाले के खिलाफ करीब 1000 एफआईआर दर्ज की गई है और करीब एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के चीफ सेक्रटरी से सकारात्मक कार्रवाई करने को कहा।