नई दिल्ली : तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद राज्य में मचे सियासी घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। इस मामले में जयललिता के साथ शशिकला और उनके दो रिश्तेदार वीएन सुधारन, इलावर्सी शामिल हैं, जिन्हें कर्नाटक हाईकोर्ट ने बरी किया था। पूर्व मुख्यमंत्री और मामले में आरोपी जयललिता का निधन हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने तीन आरोपियों को सजा और जुर्माने भरने का आदेश दिया।
जस्टिस पीसी घोष और अमिताव रॉय की बेंच ने 21 साल पुराने इस केस में सुबह करीब 10.30 बजे फैसला सुनाया। जयललिता की मौत के बाद शशिकला AIADMK की महासचिव बनाई गईं थीं। अब वह राज्य के मुख्यमंत्री पद पर भी दावा कर रही थीं लेकिन सजा होने के बाद अब उनका यह ख्वाब भी अधूरा रह गया। उन्हें 10 साल तक सक्रिय राजनीति से पूरी तरह दूर रहना पड़ेगा।
यह है मामला
जयललिता पर 1991 से 1996 के बीच सीएम रहने के दौरान आय से ज्यादा 66 करोड़ की प्रॉपर्टी इकट्ठा करने का आरोप था। उन पर शशिकला के साथ मिलकर 32 ऐसी फर्जी कंपनियां बनाने का आरोप था जिनका कोई बिजनेस ही नहीं था। 1996 में तत्कालीन जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने मुकदमा दायर कर आरोप लगाया था कि जयललिता ने 1991 से 1996 तक सीएम पद पर रहते हुए 66 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी इकट्ठा की थी। तब से ये मामला चल रहा है। बेंगलुरु की अदालत चारों को इस मामले में दोषी ठहराते हुए 100 करोड़ रुपये जुर्माना और 4-4 साल जेल की सजा सुनाई थी। हालांकि कर्नाटक हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था।
फैसले के बाद अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा, ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए यह बेहतरीन फैसला है। आज का दिन याद रखा जाएगा। जयललिता और शशिकला समेत चार आरोपियों को दोषी ठहराया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले से साफ किया है भ्रष्टाचार किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह ऐतिहासिक फैसला है।’