नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने मीट बैन को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है और जैन संगठन की याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस टी एस ठाकुर और जस्टिस कुरियन जोसफ ने बैन थोपने के तरीके पर भी आपत्ति जताई। उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहाकि ऎसे निर्णय किसी पर थोपे नहीं जा सकते। सहिष्णुता की भावना मन के अंदर होनी चाहिए।
इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को मांस की बिक्री पर रोक के फैसले पर दो दिन के लिए रोक लगा दी थी। एक जैन संगठन ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि मांस पर रोक लगाना एक तर्कसंगत प्रतिबंध है। इसे समाज के एक वर्ग के लोगों की संवेदनाओं को ध्यान में रखकर लिया गया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहाकि यह केवल अंतरिम आदेश है जो कि आज समाप्त हो रहा है। आप फिर से हाईकोर्ट जा सकते हैं।
कोर्ट ने साथ की उच्च न्यायालय से कहा कि धार्मिक त्योहारों के दौरान मांस बिक्री पर रोक लगाई जाए या नहीं इस पर छह महीने के भीतर फैसला लिया जाए। याचिका में कहा गया था कि जानवरों के प्रति भी दया का भाव रखना चाहिए और दुनिया के कई देश ऎसा करते हैं। इस पर बैंच ने कहाकि दया की भावना सिर्फ पर्वो के दौरान ही क्यों दिखाई जानी चाहिए। सहिष्णुता की भावना बहुत जरूरी है लेकिन इसे सुधार के जरिए बढ़ाना चाहिए।