लखनऊ : देवी-देवताओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में आरोपी पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य सोमवार को अदालत में हाजिर नहीं हुए। स्पेशल मजिस्ट्रेट एमपी-एमएलए/एसीजेएम द्वितीय योगेश यादव ने हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बारे में स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है। हालांकि, हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं होने और कोरोना संक्रमण के कारण सोमवार को पूर्व मंत्री के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए चार फरवरी की पेशी नियत की है।
धनपतगंज ब्लॉक के जूडापट्टी गांव निवासी अधिवक्ता अनिल तिवारी ने देवी-देवताओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या के खिलाफ अदालत में मुकदमा (परिवाद) दायर किया था। उनका आरोप है कि लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में स्वामी प्रसाद मौर्य ने हिंदू देवी देवताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। उनकी टिप्पणी से परिवादी समेत अन्य हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई थीं।
कोर्ट ने परिवादी एवं अन्य गवाहों का बयान दर्ज करने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य को विचारण के लिए अदालत में तलब किया था। अदालत में हाजिर नहीं होने पर उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया गया था। इसे स्वामी प्रसाद मौर्य ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने वर्ष 2016 में कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। बीते छह जनवरी को एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व मंत्री को हाजिर होने का आदेश देते हुए 12 जनवरी पेशी नियत कर दी थी।
12 जनवरी को स्पेशल मजिस्ट्रेट एमपी- एमएलए/एसीजेएम द्वितीय योगेश यादव ने पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करते हुए अगली सुनवाई के लिए 24 जनवरी पेशी नियत कर दी थी। सोमवार को पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य अदालत में हाजिर नहीं हुए।
स्पेशल मजिस्ट्रेट एमपी-एमएलए कोर्ट योगेश यादव ने अदालत में उपस्थित हुए परिवादी अनिल तिवारी को हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बारे में स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है। कोरोना संक्रमण के कारण मामले में पूर्व मंत्री के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए चार फरवरी की तिथि नियत कर दी है।