बॉलीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने मालेगांव बम विस्फोट की आरोपी और भोपाल से सांसद प्रज्ञा ठाकुर का नाम लिए बिना भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि आतंक के आरोपी को संसद में भेजना राष्ट्रविरोधी नहीं माना जाता है, लेकिन सवाल पूछना राष्ट्र विरोधी माना जाता है। इस बयान से एक बार फिर स्वरा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
मध्य प्रदेश सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा शुक्रवार को यहां आयोजित ‘बिटिया उत्सव’ सेमीनार में स्वरा भास्कर ने कहा कि आतंक के एक आरोपी को सांसद बनाकर संसद में भेजना देशद्रोह नहीं है, लेकिन जो लोग सवाल पूछते हैं, वे देशद्रोही हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि मुझे वोट देने का हक है और मैं एक अच्छे नागरिक की तरह टैक्स देती हूं, लेकिन सवाल पूछती हूं तो देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हो जाता है, जबकि मुझे देश से उतना ही प्यार है, जितना एक राष्ट्रवादी नागरिक को है।
बॉलीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने शुक्रवार को महिला एवं बाल विकास विभाग के बिटिया उत्सव में विवादित बयान देते हुए कहा कि पिछले ही साल हमने एक आतंक के आरोपित को संसद में भेजा है। उन्हें लोकतंत्र के अनुसार एक अच्छे खासे वोटों से जिताकर भेजा है। वो हमें एंटीनेशनलिस्ट नहीं लगता है। उन्होंने कहा कि हर इंसान अलग-अलग पहचान लेकर चलता है जो वक्त और संदर्भ के अनुसार बदलती है। मैं स्टेज पर बैठी हूं तो मेरी प्राथमिक पहचान एक बॉलीवुड सेलिब्रिटी की है। मैं जब देश के बाहर जाती हूं तो यही पहचान एक हिंदुस्तानी बन जाती है।
यूएसए जाते हैं और कुछ एशियन लोग मिलते हैं तो यही हमारी पहचान बन जाती है। आप देखिए वहां भारत-पाकिस्तान लोग माइनॉरिटी में होते हैं तो वहां हमारी खूब बनती है। यदि मैं ऐसे संदर्भ में हूं जहां जाति का मुद्दा भड़का हुआ है तो मेरी जाति मेरी पहचान होगी और यह मुझे सुरक्षा भी देगी। दिल्ली में दंगे हो रहे हैं और यदि मैं दिल्ली जाती हूं तो मेरी सबसे हावी पहचान होगी कि मैं एक हिंदू हूं और चूंकि हिंदू हूं तो दिल्ली पुलिस मुझ पर उस हक और बर्बरता से लाठी नहीं मारेगी जैसे उसने मुस्लमान पर चलाई है।
स्वरा भास्कर ने कहा कि जिस तरह की राजनीति हो रही है और मानसिकता आ गई है कि एक ही आइडेंटिटी होगी। ‘वन नेशन-वन लेंग्वेज और ‘वन नेशन-वन आइडेंटिटी होगी, क्यों? जहां पर इतनी विविधता होगी वहां लड़ाईयां और विवाद होगा। किसी भी सभ्य समाज के लिए इतना होना चाहिए कि जो भी विवाद हों वे एक कानून की ढांचे में डील किया जाए।
न कि सड़कों पर उतर कर भीड़ तंत्र बनकर या भीड़ की राजनीति कर नहीं। दूसरी बात है कि कोई भी ऐसी सोच जो नफरत और भय का इस्तेमाल कर रही है एक आइडेंटिटी बनाने के लिए उस पर शक करना चाहिए। चाहे वो ऐतिहासिक उदाहरण या अन्य चीजें बता रहे हों, नफरत सही नहीं हो सकती है। दया की भावना हमें इंसान बनाती है। जो भी विचारधारा आपके अंदर इस दयाभाव को मार रही है, वह सही नहीं हो सकती। साथ ही उन्होंने कहा कि आज ऐसा माहौल है कि सवाल उठाने पर देशद्रोही करार दे दिया जाता है।