नई दिल्ली – दिल्ली के बहुचर्चित बसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म कांड के दोषी नाबालिग (अब करीब 21 साल का बालिग) की रिहाई के मामले में शनिवार रात नया मोड़ आ गया। नाबालिग दोषी की रिहाई रोकने की मांग लेकर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल देर रात सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर के आवास पर जा पहुंचीं।
इसके बाद तेजी से बदले घटनाक्रम में मध्य रात्रि में सुप्रीम कोर्ट स्थित रजिस्ट्रार कार्यालय खुला और वहां मालीवाल से उनकी याचिका से संबंधित दस्तावेज मांगे और उन्हें लेकर मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश करने के लिए उनके आवास गए।
रात करीब सवा बजे मुख्य न्यायाधीश ने मालीवाल की याचिका को स्वीकार कर लिया और उस पर सुनवाई के लिए जस्टिस एके गोयल को नियुक्त कर दिया। रात दो बजे तय हुआ कि जुवेनाइल की रिहाई मामले की सुनवाई सोमवार सुबह होगी।
शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा नाबालिग दोषी की रिहाई रोके जाने से इन्कार किए जाने के बाद उसे बाल सुधार गृह से हटाकर अन्यत्र रखा गया है। वहीं से रविवार को उसकी रिहाई की योजना है। नाबालिग दोषी को 20 दिसंबर को बाल सुधार गृह से ही रिहा किया जाना था, लेकिन भारी विरोध के चलते उसे दो दिन पहले ही वहां से हटा दिया गया।
गौरतलब है कि 16 दिसंबर, 2012 की रात चलती बस में 23 साल की लड़की के साथ नाबालिग समेत छह आरोपियों ने सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसे गंभीर हालत में बस से फेंक दिया था। घटना के 13 दिन बाद उसकी सिंगापुर के अस्पताल में मौत हो गई थी।
हत्याकांड के चार आरोपियों-मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को निचली कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। लेकिन रामसिंह ने 11 मार्च 2013 को तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली। बाकी की फांसी की सजा की हाई कोर्ट ने पुष्टि कर दी है।
चारों की फांसी सजा पर अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। नाबालिग को किशोर न्यायालय ने तीन साल तक बाल सुधार गृह में रखने का आदेश दिया था। उसकी यह अवधि 20 दिसंबर को पूरी हो रही है।
शनिवार शाम पीड़िता के माता-पिता को साथ लेकर करीब सौ की संख्या में छात्र-छात्राएं व सामाजिक कार्यकर्ता मजनूं का टीला स्थित बाल सुधार गृह के बाहर पहुंच गए। उन्होंने वहां करीब आधा घंटे तक प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार व पुलिस के खिलाफ जमकर नारे लगाए। उनके उग्र रूप को देखते हुए पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर सभी को हिरासत में ले लिया लेकिन बाद में सबको रिहा कर दिया गया।
बताया जाता है कि शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट से उसे रिहा न करने संबंधी याचिका पर फैसला आते ही बाल सुधार गृह के अधीक्षक उसके कमरे में पहुंच गए। वहां करीब तीन घंटे तक उसे समझाया गया। उसे हर परिस्थिति के बारे में अवगत कराया गया। साथ ही उसकी उसके माता-पिता से भी बात कराई गई, लेकिन उन्हें यह नहीं बताया गया कि उसे फिलहाल दिल्ली में किस जगह पर रखा जाएगा।