आगरा- ताजमहल पर एक नहीं, बल्कि तीन प्रजातियों के कीड़े हमला कर रहे हैं। गोल्डी काइरोनोमस की पहचान तो हो गई, लेकिन एएसआई केमिकल ब्रांच ने लगातार सैंपलिंग की तो दो अन्य कीड़ों को भी ताज की सतह पर रंग छोड़ते हुए पाया गया। इसमें काइरोनोमस फैमिली के ही दो अन्य कीड़े पोडीपोडीलम और ग्लिप्टोटेन शामिल हैं।
गोल्डी काइरोनोमस नाम के कीड़े के हमले से ताज की संगमरमरी दीवारें हरे रंग में रंग गई थीं। इसके एक महीने बाद भी यमुना में जमी गंदगी साफ न होने और प्रदूषण बढ़ने से काइरोनोमस फैमली के ही दो अन्य कीड़े पोडीपोडीलम और ग्लिप्टोटेन ताज पर पहुंच रहे हैं।
यह 50 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को झेल सकते हैं। इसलिए इस भीषण गर्मी में भी इनका ताज पर हमला दिन ब दिन बढ़ रहा है। गंदगी और फास्फोरस की मौजूदगी से यह और ताकतवर हुए हैं। काइरोनोमस मादा कीट एक बार में एक हजार तक अंडे देती है।
लार्वा और प्यूमा के बाद करीब 28 दिन में पूरा कीड़ा बनता है। हालांकि कीड़े की मियाद महज दो दिन है, लेकिन मादा कीट के अंडे यमुना नदी में काफी हैं, जो एक महीने से बरकरार हैं। खास बात ये है कि काइरोनोमस परिवार के कीड़े जहां पाए जाते हैं, वहां उन प्रजातियों के आधार पर ही पानी में प्रदूषण की मात्रा पहचानी जा सकती है।
मुना नदी के पीछे फास्फोरस की मौजूदगी इनके लिए वरदान है। इस वजह से गोल्डी काइरोनोमस के साथ दोनों ही प्रजातियों के कीड़े लगातार बढ़ रहे हैं। सेंट जोंस कॉलेज के कीट विज्ञानी डॉ. गिरीश माहेश्वरी ने बताया कि यमुना नदी में फास्फोरस की मौजूदगी से इन कीड़ों को ताकत मिल रही है। काइरोनोमस कीड़ों के लिए यह मुफीद है। प्रदूषण बढ़ने और गर्मी बढ़ने के साथ इनका प्रकोप बढ़ता है। जब तक बारिश नहीं आती, तब तक कीड़ों का हमला जारी रहेगा।
यमुना नदी में प्रदूषण के कारण ताजमहल पर कीड़ों का हमला हुआ। यह मामला सुप्रीम कोर्ट मानिटरिंग कमेटी सदस्य डीके जोशी की याचिका पर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) में पहुंच गया, लेकिन आगरा का प्रशासन इस पर चुप्पी साधे हुए है।