अजमेर : ऐतिहासिक तारागढ पहाड पर सिथत मीरां सैय्यद हुसैन खिंगसवार का वार्षिक तीन दिवसीय उर्स मंगलवार को इस्लामिक कैलेंडर के रजब माह की 18 तारीख को दोपहर ठीक 1:30 मिनट पर सैय्यद मीरा हुसैन खिंगसवार की मजार कुछ सैकंडों के लिए हिलती है। सदियों से दिखार्इ देने वाली इस करामात को देखने के लिए मंगलवार को हजारों की तादाद में जायरीन तारागढ पहुंचे। उन्होंने मजार पर बंधा सवा मन लच्छा लूटा और मेहंदी हासिल की। इसी दिन कुल की रस्म के साथ शहीद मीरा हुसैन का तीन दिवसीय उर्स सम्पन्न हुआ।
दरगाह कमेटी के अध्यक्ष मोहसीन सुल्तानी ने बताया कि मंगलवार दोपहर एक बजे दरगाह के पगडीबंध कव्वाल ने हजरत अमीर खुसरो का यह कलाम आज रंग है पेश किया, उसी के साथ नक्कार खाने से नौबत और शादियाने बजाकर उर्स समापन का ऐलान किया गया। इसी दौरान नौबतखाने से डंका बजाया गया। इसके बजते ही सैय्यद मीरा हुसैन की मजार कुछ देर के लिए हिल गर्इ। यह मंजर देखने के लिए बेहिसाब जायरीन आस्ताने में मौजूद थे। मजार के हिलते ही सवा मन लच्छा खुल गया और इसे लूटने वालों की होड मच गर्इ। इस करामात के मद्देनज़र आस्ताने में खडे जायरीन और वहां के खिदमतगुजारों के आंखों से आंसू छलक आए। इस मौके पर सभी के हाथ दुआ के लिए उठे गए।
पीर सईद शाकिर हुसैन सदर शाह ने बताया कि सैय्यद मीरा हुसैन की मजार साल में एक यानि उर्स के समापन के दौरान ठीक दोपहर के 1:30 मिनट पर हिलती है। दरगाह के खादिम मजार के चारों तरफ सवा मन लच्छा और इतनी ही मेहंदी लगाते हैं। कुल की रस्म के बाद लच्छा लूटने की परंपरा निभार्इ जाती है। उन्होंने कहा, उर्स में आने वाले जायरीन इस लच्छे को बतौर तबरर्रुक साथ ले जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस लच्छे के गले में डालने से आसमानी बलाएं दूर होती है और मजार पर लगार्इ गर्इ मेहंदी हाथों में लगाने से लडकियों के रिश्ते आने लगते हैं।
इसके पीछे छुपी जो दास्तां है, सैय्यद मीरा हुसैन की शादी होने वाली थी, दूल्हा बने हुए थे। तभी उन्हें जंग के लिए हुक्म हुआ। अपनी फौज लेकर अजमेर पहुंचे। उसी दौरान यहां शहीद हो गए। उन्हीं की याद में उनकी मजार पर सवा मन लच्छा और मेहंदी लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। सुलतानी का कहना है कि शहीद जिन्दा है उर्स के मौके पर कुल की रस्म के बाद उनके जलाल की वजह से उनकी मजार कुछ देर के लिए हिलती है। यही मंजर देखने के लिए न सिर्फ अजमेर बलिक दूरदराज से बेहिसाब जायरीन तारागढ पहुंचते हैं।
खादिमों ने पेश की चादर:
तारागढ पंचायत खुद्दाम सैय्यद जादगान की ओर से ढोल नक्काराें और महफिल और कव्वाली के बीच सैय्यद मीरा हुसैन की मजार पर गिलाफ पेश किया गया। इस मौके पर खुद्दाम साहेबान ने देश की खुशहाली, तरक्की और भार्इ चारे की दुआ की। 11:30 बजे उनकी तरफ से लंगरे आम तकसीम किया गया। उसके बाद तारागढ कमेटी के अध्यक्ष मोहसीन सुलतानी की सदारत में महफिल-ए-कव्वाली का आगाज हुआ। दरगाह के शाही कव्वाल ने कलाम पेश किए। दोपहर करीब 1:15 पर रंग के साथ कुल की रस्म अदा की गर्इ। इसके बाद इंतेजामिया कमेटी की ओर से उर्स में आए देशभर के कलंदरों और मौरूसी अमले की दस्तारबंदी की गर्इ।
ख्वाजा साहब की पुत्राी का उर्स प्रारम्भ :
ख्वाजा साहब की बेटी सैयदा बीबी हाफीजा जमाल का उर्स मंगलवार से प्रारम्भ हुआ। मंगलवार को असर की नमाज के बाद निजाम गेट से बैण्ड बाजे के साथ जलूस के रूप में अकीदतमंदों द्वारा चादर शरीफ पेश की। सैयद फखर काजमी की सदारत में चादर का जलूस में शाही कव्वालों ने कलाम पेश किए। मगरीब की अजान से पहले आस्ताना सिथत सैयदा बीबी हाफीजा जमाल की मजार तक पहुंची। मजार पर चादर के साथ अकीदत के फूल पेश किए गए और देश में अमन चेन की दुआ मांगी गर्इ, इसी दिन रात को आस्ताना मामूल होने के बाद आताहे नूर में महफिले समां होगी। बुधवार को दोपहर 1 बजे कुल की रस्म अदा की जाएगी, इसके बाद सभी के लिए लंगर का आयोजन होगा।
मीडियाकर्मियों की दस्तार बंदी:
उर्स के इकददाम पर पीर सईद शाकिर हुसैन सदर शाह की तरफ से मीडियाकर्मियों की दस्तार बंदी कर शुक्राना अदा किया गया, उसके बाद दरगाह तारागढ़ की कमेटी के ऑफिस में मीडियाकर्मियों की दस्तार बंदी की गयी साथ ही खादिम राजा भाई ने मीडियाकर्मियों के लिए मीरा साहिब की दरगाह में दुआ की। फोटो: सूर्यप्रताप