न्यूयार्क : शोधकर्ताओं के एक अंतर्राष्ट्रीय दल ने मंगल ग्रह के उल्का पिंडों में मीथेन गैस के निशान ढूंढे हैं, जिसके बाद लाल ग्रह की सतह के नीचे जीवन की मौजूदगी की संभावना को नई आस मिली है।
शोधकर्ताओं ने मंगल ग्रह पर मौजूद ज्वालामुखी चट्टान से बने छह उल्का पिंडो का विश्लेषण किया। सभी उल्कापिंडों में मिथेन गैस की मात्रा भी पाई गई।
इस खोज के बाद इस संभावना को नई आस मिली है कि मंगल ग्रह की सतह के नीचे मिथेन का इस्तेमाल भोजन के स्त्रोत के रूप में किया जा सकता हो, जैसा कि पृथ्वी के वातावरण में मौजूद रोगाणु अपने जीवित रहने के लिए करते हैं।
अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सीन मैकमोहन ने कहा, “हमारी इस खोज से अंतरिक्ष जीव विज्ञानियों को इस बात का पता लगाने में मदद मिलेगी कि क्या मंगल की सतह के नीचे जीवन की संभावना हो सकती है।”
उन्होंने कहा, “यदि मंगल ग्रह पर मौजूद मीथेन गैस रोगाणुओं के भोजन का सीध स्त्रोत नहीं भी है, तब भी इस बात के संकेत तो मिलते हैं कि वहां गर्म, नम, रासायनिक रूप से प्रतिकियाशील पर्यावरण है, जहां जीवन की संभावना हो सकती है।”
शोधकर्ताओं ने कहा, “हमारे शोध से इस बात के साफ संकेत मिले हैं कि मंगल की चट्टानों में मीथेन प्रचूर मात्रा में मौजूद है। यह शोध जर्नल नेचर कम्युनिकेशन में प्रकाशित हुई है । एजेंसी