तेजस्वी ने कहा कि लॉकडाउन कोरोना पर सिर्फ एक अल्पविराम लगा सकता है, संक्रमण की गति धीमी कर सकता है लेकिन संकट को टाल नहीं सकता। सरकार को लॉकडाउन में तैयारी करनी चाहिए थी। अस्पतालों की क्षमता वृद्धि करनी चाहिए थी पर सरकार चुनाव की तैयारी में जुटी रही और इसका परिणाम आज जनता भुगत रही है।
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कोरोना के बहाने नीतीश कुमार सरकार पर हमला जारी रखा है।
मंगलवार को एक बयान में राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी ने कहा कि बिहार सरकार कोरोना संकटकाल में भी सूबे के निवासियों के साथ खिलवाड़ कर रही है।
तेजस्वी के अनुसार, आज भी बिहार में आवश्यकता से बहुत कम कोरोना टेस्ट किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक बड़ी संख्या में कोरोना टेस्ट नहीं होंगे, संक्रमण की भयावहता का सही अंदाज़ा कैसे लगेगा?
आरजेडी नेता ने दावा किया कि अगर प्रतिदिन 30 हज़ार टेस्ट होंगे तो रोजाना कम से कम 5 हज़ार केस सामने आएंगे!
यही नहीं, जो लोग टेस्ट करवा रहे हैं उनकी जांच रिपोर्ट आने में 20 से 30 दिन लग जा रहे हैं। ऐसे में पॉज़िटिव लोग अन्य लोगों को संक्रमित कर या तो जान गंवा चुके होते हैं या अस्पताल पहुंच चुके होते हैं। कुछ मामलों में तो अस्पताल में भर्ती होने के बाद मरीज जान चली गई और बाद में जांच रिपोर्ट आई।
तेजस्वी के अनुसार, कई ऐसे लोग हैं जिनका सैम्पल लिया ही नहीं गया पर रिपोर्ट आ गई। RJD के जब MLA, MLC स्तर के नेताओं तक की रिपोर्ट नहीं आ रही तो आम आदमी की ये सरकारी व्यवस्था कब टोह लेती है? जाँच रिपोर्ट को लेकर मची उहापोह में तो मुख्यमंत्री के नेगेटिव जांच रिपोर्ट पर शंका होना भी स्वाभाविक है।
आरजेडी नेता ने आरोप लगाया कि मरीज़ों को अस्पतालों में बेड नहीं होने का हवाला देकर भर्ती नहीं किया जा रहा है। जो भर्ती हैं उनका सही इलाज और देखभाल नहीं किया जा रहा है। डॉक्टरों, लाश उठाने वाले और अन्य मेडिकल स्टाफ के पास PPE किट और सही मास्क तक नहीं हैं।
उन्होंने कहा, सरकार बताए कि इस समय बिहार में कुल कितने वेंटिलेटर हैं और किस कम्पनी के हैं? उनकी क्या गुणवत्ता है? हर जिले में कोविड मामलों के लिए कुल कितने बेड हैं? WHO ने भी आशंका जताई है कि स्वास्थ्य व्यवस्था की भारी कमी के कारण बिहार कोरोना का राष्ट्रीय हॉटस्पॉट बन सकता है। हम कहते हैं कि सरकार के ढीले रवैये के कारण बिहार नेशनल ही नहीं बल्कि एक ग्लोबल हॉटस्पॉट बन जाएगा।
तेजस्वी ने कहा कि लॉकडाउन कोरोना पर सिर्फ एक अल्पविराम लगा सकता है, संक्रमण की गति धीमी कर सकता है लेकिन संकट को टाल नहीं सकता। सरकार को लॉकडाउन में तैयारी करनी चाहिए थी। अस्पतालों की क्षमता वृद्धि करनी चाहिए थी पर सरकार चुनाव की तैयारी में जुटी रही और इसका परिणाम आज जनता भुगत रही है।
उन्होंने कहा कि आदर्श तौर पर हर जिले में पूर्णतः समर्पित कोविड अस्पताल होना चाहिए। नीतीश जी कम से कम प्रमंडलीय स्तर पर तो कोविड समर्पित अस्पताल यथाशीघ्र बनवाना ही चाहिए। इसके अलावा कई स्थानों पर अस्थायी कोविड अस्पतालों का भी निर्माण कराया जाना चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल आपदा में अवसर तलाशकर भ्रष्टाचार में लगे हैं। ₹9000 करोड़ कोरोना पर खर्च करने का दावा किया जा रहा है लेकिन आखिर ये पैसे जा कहां रहे हैं?