मुंबई- ”सरकार कैसे किसानों पर विशेष ध्यान देने का दावा कर रही है”, और ”सरकार किसानों के लिए क्या कर रही है”, कुछ इस तरह से फटकार लगाते हुए बांबे हाईकोर्ट ने औरंगाबाद के विभागीय आयुक्त से जवाब मांगा है। दरअसल इस साल जनवरी महीने में मराठवाड़ा इलाके में 89 किसानों के आत्महत्या करने को लेकर हाई कोर्ट ने जवाब तलब किया है !
न्यायमूर्ति नरेश पाटील व न्यायमूर्ति एए सैय्यद की खंडपीठ ने सरकारी वकील अभिनंदन व्याज्ञानी को किसानों की आत्महत्या करने से जुड़ी खबर की सत्यता परख कर स्थिति का जायजा लेने को कहा है।
खंडपीठ ने इस मुद्दे पर औरंगाबाद के विभागीय आयुक्त को रिपोर्ट मंगाई है। खंडपीठ ने कहा कि सरकार इन इलाकों में खेती व सिंचाई के लिए पानी का इंतजाम नहीं कर पा रही है। इस बार वैसे भी राज्य में सूखे की स्थिति है।
ऐसी स्थिति में सरकार बताए कि वह पीने के पानी की व्यवस्था कैसे करेगी? अदालत ने पूछा कि इस दिशा में सरकार ने कौन से कदम उठाए हैं? सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कहा कि उन्होंने अभी इस खबर को नहीं पढ़ा है। इसलिए उन्हें थोड़ा वक्त दिया जाए। सरकार किसानों को हर संभव सहयोग व राहत देने के लिए प्रतिबध्द है।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने किसानों की आत्महत्या के मुद्दे का खुद संज्ञान लेते हुए इस मुद्दो को लेकर अखबारों में आ रही खबरों को जनहित याचिका में परिवर्तित किया है।
आत्महत्या ग्रस्त 14 जिलों में मेडिकल आफिसर की नियुक्ति का अधिकार जिला प्रशासन को दिया गया है। इससे इन जिलों में लोगों को चिकित्सकीय मदद उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। बुधवार को मंत्रालय में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस कि मौजूदगी में हुई स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने यह फैसला लिया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने आत्महत्या ग्रस्त जिलों के जिलाधिकारियों से वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से सम्पर्क कर जिले में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में जानकारी ली।