टेराकोटा के डेकोरेटर सींक और बर्तनों की कलाकृति सुंदरता के दीवाने हडप्पा और मोहनजोडरों काल के लोग तो थे ही आज हजारों साल तक भी उनकी महत्ता कभी नहीं आई।
हाथ से चलने वाले चाक के जगह मशीन से चलने वाली चाक ने इस कला को और निखारा है और टेराकोटा की इन कलाकृतियों का पसंद करने वालों की संख्या लाखों में हैं । भारत में बनने वाली ये कलाकृतियां जितनी हमारे देश में पसंद की जाती है। उससे कहीं अधिक इनकी डिमांड देश के बाहर है।
वैसे टेराकोटा प्रॉडक्ट मैन्यूफैक्चरिंग का काम हमारे देश में एक खास समुदाय द्वारा ही किया जाता था, लेकिन इसके व्यापार के विस्तार और इस क्षेत्र में अच्छे मुनाफे को देखते हुए युवा पीढी इस व्यवसाय को लेकर गंभीर हुई है। टेराकोटा की एक अच्छी कलाकृति की कीमत हजारों में नहीं बल्कि लाखों में भी हो सकती है।
टैराकोटा के बडे होटलों, गेस्ट हाउसों सिनेमा हॉलों में जो प्रमुखता से हो ही रहा है साथ ही घर की साज सज्जा में भी इसका उपयोग किया जा रहा है। इन कलाकृतियों की रौनक लंबे समय तक बनी रहती है। और रंग हल्का होने पर टेराकोटा मिट्टी का ही कलर करने या अपना मनपसंद रंग घर के इंटीरियल के अनुसार रखने की आसान प्रक्रिया ने इस इंटीरियल डिजायनिंग में अहम बना दिया है। यही कारण है कि इसका बाजार लगातार बढ रहा है।
प्रशिक्षण
आज के लगभग 10 साल पहले तक मिट्टी या टेराकोटा की कलाकृतियां बनाने की प्रोफेशनल ट्रेनिंग के कुछ गिने -चुने संस्थान थे, लेकिन देश में प्रशिक्षण प्राप्त कलाकारों एवं इस उद्योग को चलाने की समझ वाले लोगों की इस क्षेत्र में बढती मांग को देखते हुए सरकार ने इसके लिए देश भर में कई प्रशिक्षण संस्थान खोले हैः-
डॉ. जे.सी. कुमारप्पा इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल टेव्नहृोलॉजी एंड डेवलपमेंट
टी. कालूपट्टी, मदुराई डिस्ट्रिक, तमिलनाडु-625702
सी.बी. कोरा इंस्टीट्यूट ऑफ विलेज इंडस्ट्रीज, खादी एंड विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन
शिमोपोली रोड, बोरीवली वेस्ट, मुंबई-92
मल्टी डिस्पील्नरी ट्रेनिंग सेंटर खादी एवं विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन
दूरवानी नगर, बंगलौर-560016, कर्नाटक
खादी एंड विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन गाांधी आश्रम,राजधाट, नई दिल्ली
इन सभी केंद्रों के संबध में अधिक जानकारी वेबसाइट के पते से प्राप्त कर सकते हंै।
प्रशिक्षण अवधि
पॉटरी मैन्यूफेक्चरिंग भी एक कला है और इसे हैंडीक्रापट यानी हस्तकला वर्ग में रखा गया है। अलग-अलग संस्थनों में प्रशिक्षण अवधि अलग है। लेकिन प्रशिक्षण की न्यूनतम अवधि 6 महीने है। कुछ संस्थानों में इसका सर्टिफिकेट कोर्स भी करवाया जाता है।
अपनी मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगाने का अनुमति खर्च
इसका यूनिट इंडस्ट्रियल एरिया में लगया जाना चाहिये। नए उद्यमियों को यह ध्यान रखना चाहिये कि वो सरकार द्वारा तय किए गए मानकों को पूरा करें। वैसे टेराकोटा मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगाने का खर्च लाखों में नहीं होता।
कम पूंजी होने की ििस्थ्त में छोटे यूनिट से भी व्यापार की शुरूआत की जा सकती है। लगभग30 से 50 हजार के बीच इसका काम शुरू किया जा सकता है। यूनिट में कच्चे माल के रूप में काली और लाल मिट्टी, पानी, बिजली से चलने वाली चाक और भट्टी की जरूरत होती है। हमारे देश में पारंपरिक मिट्टी और ईंट से बनी भट्टी ही बनाई जाती रही है, लेकिन युवा पीढी के इस व्यापार में कूदने से इस क्षेत्र में काफी गंभीरता से काम हुआ है और आज बाजार में इलेक्ट्रिकल भट्टी भी है, जिसमें धुंआ नहीं होता और न ही इसमें आग सुलगाने की जरूरत होती है। यानी आप अपनी यूनिट को पूरी तरह आधुनिक पद्धाति का बनाकर अंतरर्राष्ट्रीय बायर को अपनी तरफ आकर्षित कर सकते है। इस इलेक्ट्रिकल भट्टी की कीमत 50 हजार से 1 लाख के बीच है।