यूपी से राज्यसभा मानांकन पर तेज़ न्यूज़ नेटवर्क के यूपी हेड, शाश्वत तिवारी की कलम से……
कहां गए उत्तर प्रदेश में भाजपा का 12 वर्षों बाद संगठन पुनः स्थापित करने वाले “लक्ष्मीकांत बाजपेई” और राम मंदिर आंदोलन के प्रखर नेता “विनय कटियार” l
‘लक्ष्मीकांत’ के लिए एक बड़े भाजपा विचारक का कहना है की “ये यूपी के अडवाणी है” । इस लिए ही इनको बाहर का रास्ता दिखया जा रहा है। विनय कटियार के लिए उनकी राय है की आज की तारीख में राम मंदिर मुद्दे को प्रखरता से उठने वाले और लोग तैयार है, आज राम मंदिर आंदोलन के पुराने/ प्रखर वक्ताओं की पार्टी/ संगठन को कोई खास जरुरत नहीं है। इस लिए वो भी इस दौड़ से बहार हो गए है।
“राजनीतिक दल” और “सरकारें” सभी एक जैसी होती है —— यह बात आम जनता [वोटर लोग] जितनी जल्दी समझ ले उतना बेहतर होगा
क्या वजह है की पुरोधाओ को अपने संगठन/ पार्टीयो के कर्मठ कार्यकर्त्ता लोग नहीं दिखते, जो बरसों से निस्वार्थ लगे हुए हैं !
कई पार्टी विचारको का साफ़ मानना है की बाहर से आए लोगों को ऊंचे पद देना पार्टी कार्यकर्ताओं का खुला अपमान है l इससे पार्टी और संगठन में नाराज़गी बढ़ेगी, हो सकता है की आज ये नाराज़गी न दिखे पर एक न एक दिन ये जरूर सामने आएगी।
कार्यकर्ताओ की अनदेखी का माहौल, कमोवेश सभी पार्टियों में देखा जा रहा है।