अहमदाबाद- गुजरात हाइकोर्ट के जस्टिस जेबी परदीवाला ने वडोदरा निवासी श्याम सुंदर धोबी और एक वकील चेतन गोरे के खिलाफ आईपीसी के सेक्शन 354 के तहत दर्ज मामले की सुनवाई करते हुए गुरुवार को यह निर्णय दिया कि खुले में पेशाब करना एक अनैतिक कृत्य हो सकता है लेकिन यह किसी महिला के सम्मान को ठेस पहुंचने का मामला नहीं है।
खबर अनुसार महिला चाय विक्रेता उषा बेन ओडे ने श्याम सुंदर धोबी के खिलाफ उनकी स्टाल के निकट पेशाब करने के कारण अपने अपमान का मुकदमा दर्ज कराया था। महिला का आरोप था कि उनकी चाय के स्टाल के निकट पेशाब करने के कारण उनका अपमान हुआ है। महिला ने आरोपियों के खिलाफ धमकी देने और मारपीट करने का मामला भी दर्ज कराया था।
मामले में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि किसी को बहुत आपातकालीन स्थिति में भी पेशाब आए तब भी खुले में पेशाब करना गलत है लेकिन इससे किसी को नुकसान नहीं पहुंचता और न ही यह किसी के महिला के अपमान का कारण हो सकता है।
जानकारी के अनुसार गोरे की माता जी बीते जून में बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती हुई थी, उन्हें देखने के लिए ही श्याम सुंदर धोबी वहां पहुंचे थे। उन्होंने अपनी बाइक उषाबेन के चाय के स्टाल के निकट ही खड़ी की थी।
बाइक वापस उठाते समय धोबी सड़क किनारे खड़े होकर ही पेशाब करने लगे। इसी पर नाराजगी जताते हुए चाय विक्रेता उषा ने उनके खिलाफ शिकायत कर दी। कहासुनी के बाद पुलिस ने धोबी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। चाय विक्रेता महिला ने धोबी के अलावा वकील गौरे और उनके नाबालिग बेटे के खिलाफ भी धारा 354 के तहत मुकदमा दर्ज किया था। जिसमें उनके खिलाफ मारपीट और धमकी देने के आरोप भी लगाए गए थे।
मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने धारा 354 को खारिज करते हुए तीनों को आरोप मुक्त कर दिया। हालांकि धमकी देने और मारपीट करने के मामले में जांच जारी रखने का आदेश दिया है। [टाइम्स ऑफ़ इंडिया ]