नई दिल्ली- दूरसंचार कंपनियों ने अपनी खराब सर्विसेज को छुपाने के लिए एक नई टेक्नोलॉजी का सहारा लिया है। जिसमें नुकसान सिर्फ उपभोक्ता का होता है। इस टेक्नॉलजी के मदद से कॉल करते वक्त कनेक्शन टूटने या दूसरी ओर से सुनाई नहीं देने पर भी कॉल कनेक्टेड दिखाई देती है। ऐसी स्थिति में उपभोक्ता को कॉल काटना ही पड़ जाता है, जो ट्राई के ‘कॉल ड्राप’ के तहत नहीं आता। इससे पहले अगर कॉल करते समय उपभोक्ता खराब नेटवर्क वाले इलाके में जाता था तो कॉल अपने आप ही कट जाती थी। जो नियम के तहत ‘ड्राप कॉल’ के रूप में दर्ज होता।
दूर संचार कंपनियों ने इस नई टेक्नोलॉजी की मदद से नई तरकीब निकाली है, उपभोक्ता के लिए कॉल कृत्रिम तरीके से कनेक्टेड दिखती है, लेकिन वो असल में कनेक्ट नहीं होती है। और ऐसी स्थिति में उपभोक्ता फोन काट देता है। ग्राहक से इसके लिए पूरा पैसा ले लिया जाता है।
दूरसंचार नेटवर्क की जांच से जुड़े एक आधिकारिक सूत्र ने जानकारी दी कि ‘टेलिकॉम ऑपरेटर रेडियो-लिंक टेक्नॉलजी (आरएलटी) का अब इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे उन्हें कॉल ड्राप को छुपाने में मदद मिलती है। उपभोक्ता बात कर रहा होता है और उस पर शुल्क लगता रहा है। यह एक तरह से ऐसी बात होती है कि ग्राहक कृत्रिम नेटवर्क से जुड़े रहते हैं और उपभोक्ता यही समझता है कि दूसरी ओर से आवाज नहीं आ पा रही है। [एजेंसी]