दमोह- भारत सरकार की एक अति महत्वपूर्ण योजना का लाभ प्राप्त कर जहां लाखों श्रमिक अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ बना चुके हैं तो वहीं दूसरी ओर एैसे लोगों की भी संख्या काफी बतलायी जाती है जो काम अब मांगते नहीं अपितु देने लगे हैं। जी हां हम बात कर रहे महात्मा गांधी रोजगार गारंटी की जिसको अधिक सुदृढ बनाने के लिये लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।
जिले के संबधित विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार चार हजार श्रमिकों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। कौशल विकास / उन्ययन कर इन श्रमिकों को सीमित रोजगार की स्थिति में वर्ष भर अर्थात् 100 दिन रोजगार प्राप्त करने की स्थिति में लाना है। भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा लगातार इस अति महत्वपूर्ण योजना के सुदृढीकरण तथा हितग्राहियों को लाभ दिलाने के लिये अनेक प्रयास किये जा रहे हैं।
इसी का पालन करते हुये भारत सरकार के ग्रामीण विकास विभाग द्वारा एक ओर कार्यक्रम की शुरूआत उक्त योजना को अधिक प्रबल बनाने तथा श्रमिकों को लाभांवित करने के निर्देश दिये गये हैं। अगर इसके उद्देश्य पर नजर डालें तो एैसे श्रमिकों को जिन्होने गत वित्तीय बर्ष में मनरेगा के अंतर्गत 100 दिन का कार्य किया है। एैसे श्रमिकों को उत्पादन समूह में संगठित कर यांत्रिकी कृषि अथवा निर्माण कार्यों को करने हेतु प्रशिक्षित करना है।
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना के तहत स्वरोजगार हेतु प्रशिक्षण आरएसईटीआई के तहत तथा उत्पादन समूहों को संगठित कर प्रशिक्षित करना/ निजि भूमि की उत्पादकता बढाने हेतु प्रशिक्षित सहयोग करने का कार्य राज्य ग्रामीण आजीवका मिशन के सहयोग से किया जायेगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार एैसे श्रमिकों की उम्र 18 से 35 बर्ष के मध्य रहेगी वहीं दूसरी ओर अनुसूचित जाति/अनु सूचित जन जाति के सदस्य महिलाओं के मामले में उम्र 45 बर्ष रहेगी। विभाग द्वारा इस संबध जिले के समस्त ब्लाकों में सर्वे कराते हुये एक प्रपत्र तैयार किया गया है।
विदित हो कि कुछ दिन पूर्व ही देश की 10 हजार में से 25 सौ जनपदों को आईपीपीई अर्थात् सघन,सहभागी,न्योजन योजना के तहत जोडा गया है। इसी क्रम में देखा जाये तो कभी मजदूरी की मांग करने वाले तथा अब मालिक बनने वाले एैसे लोगों की संख्या पर नजर डालें तो देश में 4 लाख 78 हजार 509 बतलायी जाती है। वहीं मध्यप्रदेश भारत के अन्य प्रांतों की संख्या में प्रथम पायदान पर खडा दिखलायी देता है।
जिले में इस समय तीन हजार से अधिक श्रमिकों ने काम मांगना बंद कर दिया है इसका कारण कुछ और नहीं अपितु उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ होना बतलायी जाती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मनरेगा के अंतर्गत संचालित होने वाली हितग्राही मूलक योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के चलते यह सब इतने सक्षम हो गये कि इनको अब काम अर्थात मजदूरी की आवश्यकता नहीं है।
विदित हो कि मनरेगा के अंतर्गत 16 प्रकार की योजनाओं का संचालन किया जा रहा है जिसमें कपिलधारा,नंदन फल उद्यान,मेड बंधान,ग्रामीण शांतिवन,ग्रामीण क्रीडाकंन,पंचायत भवन,आंगनबाडी भवन,शैलपर्ण,पथ वृक्षारोपण,ग्राम वन,मिट्टी मुरमीकरण, सीसी रोड,पशु शेड,खेत तालाब,नवीन तालाब एवं निर्मल नीर जैसी योजनाओं के नाम बतलाये जाते हैं।
रिपोर्ट :- डा.एल.एन.वैष्णव