नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन विधेयक पेश करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि विधेयक के पीछे कोई भी राजनीतिक एजेंडा नहीं है।
अमित शाह ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नगालैंड की तरह मणिपुर को भी नागरिकता संशोधन विधेयक से छूट मिली हुई है।
शाह ने कहा कि राशन कार्ड या किसी भी दस्तावेज के बिना भी शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी।
अमित शाह ने कहा कि किसी भी देश की सरकार का यह कर्तव्य है कि वह सीमाओं की रक्षा करे और घुसपैठियों को रोके। शरणार्थियों और घुसपैठियों की पहचान करें। कौन सा ऐसा देश है जिसने बाहर के लोगों को नागरिकता देने के लिए कानून ना बनाया हो। हमने भी ऐसा ही कानून बनाया है और हमने एकल नागरिकता का प्रावधान किया है।
गृह मंत्री शाह ने कहा कि विधेयक को इस महान सदन की अनुशंसा मिल जाने के बाद लाखों-करोड़ों लोग यात्रा पूर्ण जीवन से मुक्त हो जाएंगे और सम्मान पूर्वक भारत के नागरिक बन जाएंगे।
नागरिक संशोधन विधेयक पेश करने के दौरान अमित शाह को लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा।
कांग्रेस तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सदस्यों ने विधेयक को संविधान की मूल भावना और अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए से वापस लेने की मांग की।
गृह मंत्री ने कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी सदस्यों की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि विधेयक कहीं भी देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। इसमें संविधान के किसी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया है।
अमित शाह ने सदन में कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी देश की आजादी के समय धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं करती तो इस विधेयक की जरूरत ही नहीं पड़ती।
नागरिकता संशोधन अधिनियम के पास होने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर आए उन गैर मुसलमानों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो।