नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में यह बताया गया कि नोटबंदी के दौरान कुल 99% बैन किए गए नोट बैंकों में जमा हो गए। इसका मतलब हुआ कि सिर्फ 1.4% हिस्से को छोड़कर बाकी सभी 1000 रुपए के नोट सिस्टम में लौट चुके हैं। यानी कि, सिर्फ 8.9 करोड़ नोट ही ऐसे रहे जो सिस्टम में नहीं लौटे। अब सवाल यह उठ रहा है कि नोटबंदी से होने वाले फायदों को लेकर जो दावे किए जा रहे थे, उन पर सवाल उठ रहे हैं। देश के केंद्रीय बैंक की रिपोर्ट से सामने आए सच, इन दावों पर सीधे सवाल खड़ी करती है। फ्लैशबैक में जाकर बात करें केंद्र सरकार ने पिछले साल 8 नवंबर को नोटबंदी का फैसला लिया था जिसके बाद 500 रुपए और 1000 रुपए के नोटों को अवैध कर दिया गया था।
आइए जानें ऐसे ही पांच दावे और उन पर लगे सवालिया निशान…
1- ब्लैक मनी पर लगाम कस जाएगी..
8 नवंबर को जब पीएम मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया तो इसे सबसे अधिक कालेधन पर लगाम कसने वाले कदम के रूप में पेश किया गया था। कहा गया कि ब्लैक मनी पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी। इसके बाद 15 अगस्त, 2017 को दिए भाषण में उन्होंने रिसर्च का हवाला देते हुए कहा था कि 3 लाख करोड़ रुपया, जो कभी बैंकिंग सिस्टम में नहीं आता था, वह आया है। इन दावों पर उठ रहे सवालों पर विपक्ष ने भौंहे टेढ़ी की हैं जिस पर सरकार ने नोटबंदी के आंकड़ों पर विपक्ष के बयान को नासमझी में की जा रही टिप्पणी बताया है। उसका कहना है कि ये पूरी प्रक्रिया बहुत कामयाब रही है। इससे बाजार में पैसा आया है, लोगों को आसान दरों पर कर्ज मिला है। आधिकारिक प्रतिक्रिया में सरकार ने कहा है कि नोटबंदी कामयाब रही। वापस आए नोटों के आधार पर कामयाबी या नाकामी की बात नासमझी है।
2- आतंकवाद और नक्सलवाद, दोनों, पर गाज गिरेगी…
पीएम मोदी नोटबंदी को लेकर जब इसके फायदे गिनाए थे तब यह भी कहा था कि इससे आतंकवाद और नक्सलवाद की कमर टूट जाएगी। उनका कहा था कि ये दोनों असल में नकली नोटों और काले धन से मदद मिलती है। भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया है कि वित्त वर्ष 2016-17 में कुल 7,62,072 जाली नोट पकड़े गए, जो वित्त वर्ष 2015-16 में पकड़े गए 6.32 जाली नोटों की तुलना में 20.4 प्रतिशत अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वित्त वर्ष में नोटबंदी के बाद 500 रुपये और 1000 रुपये के जाली नोट तुलनात्मक रूप से अधिक संख्या में पकड़े गए। अब नोटबंदी के बाद पकड़े गए नकली नोटों की संख्या पिछले साल से कुछ ही ज़्यादा है, इसलिए यह पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता कि नोटबंदी का असर आतंकवाद और नक्सलवाद पर पड़ा है। हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि कश्मीर में ‘पत्थरबाज़ बेअसर हुए हैं।’
3- जाली नोट समाप्त होंगे, इनका प्रचलन रुकेगा..
नोटबंदी के फ़ायदे गिनाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि इससे जाली नोटों को ख़त्म करने में मदद मिलेगी। आरबीआई को इस वित्तीय वर्ष में 762,072 फर्ज़ी नोट मिले, जिनकी क़ीमत 43 करोड़ रुपये थी। इसके पिछले साल 632,926 नकली नोट पाए गए थे। यह अंतर बहुत ज़्यादा नहीं है।
4- करप्शन थमेगा, इस पर लगाम लगेगी..
करप्शन पर लगाम भी नोटबंदी की प्रमुख कवायद के तौर पर पेश किया गया था लेकिन ऐसा होता लग नहीं रहा है। कहा गया था कि नोटबंदी का ऐलान करते वक्त इसे भ्रष्टाचार, काले धन और जाली नोटों के खिलाफ जंग बताया था। आरबीआई की रिपोर्ट के बाद सरकार के इस दावे पर सवाल उठ रहे हैं। नोटबंदी से पहले 15.44 लाख करोड़ की कीमत के 1000 और 500 के नोट प्रचलन में थे। इनमें से कुल 15.28 लाख करोड़ रुपए की कीमत के नोट बैंकों में वापस आ गए। साल 2016-17 के दौरान 632.6 करोड़ 1000 रुपए के नोट प्रचलन में थे, जिनमें से 8.9 करोड़ नोट सिस्टम में लौटे।
5- कारोबारियों, किसानों और मजदूरों को फायदे होंगे…
विपक्ष ही नहीं, RSS से जुड़े भारतीय मज़दूर संघ और भारतीय किसान संघ ने भी नोटबंदी पर सवाल उठाए हैं। भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष साजी नारायणन ने कहा कि देश की 25% आर्थिक गतिविधि पर नोटबंदी का बुरा असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि सबसे ज़्यादा असर असंगठित सेक्टर पर इसका असर हुआ है। भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन, छोटे उद्योग और कृषि क्षेत्र में दिहाड़ी मज़दूरों पर नोटबंदी का सबसे बुरा असर पड़ा है। भारतीय किसान संघ के सचिव मोहिनी मोहन मिश्रा ने कहा कि नोटबंदी का सबसे बुरा असर कृषि क्षेत्र के मजदूरों पर पड़ा है। उन्होंने कहा कि किसानों पर भी इसका व्यापक असर पड़ा है।