भोपाल: निकाय चुनाव को लेकर कमलनाथ सरकार ने बड़ा फैसला किया है। नगर निगम के महापौर समेत नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों के जरिये ही होगा। अभी जनता इनको चुनती है। मंत्रायल में हुई कैबिनेट की अहम् बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगी है। कैबिनेट बैठक में कई बड़े प्रस्तावों को भी मंजूरी मिली है।
नगरीय निकाय एक्ट में बदलाव किया गया है। अभी तक महापौर पद के लिए सीधे चुनाव होता है। पार्षदों के जरिये अब महापौर और अध्यक्ष का चुनाव होगा| अब चुनाव से दो महीने पहले तक परिसीमन सहित अन्य निर्वाचन प्रक्रियाएं पूरी करनी होगी। वर्तमान में छह माह का प्रावधान है। इसके अलावा आपराधिक छवि वाले पार्षदों पर सख्ती रहेगी, दोषी पाए जाने पर 6 महीने की सजा के साथ ही 25 हजार के जुर्माने का प्रावधान को भी कैबिनेट ने मंजूर किया है।
इन प्रस्तावों पर भी मुहर
-महू से इंदौर (मनमाड रेल लाइन) 400 करोड़ की लागत रेलवे लाइन बिछाई जायगी
-जवाहरलाल नेहरू बन्दरगाह ट्रस्ट के तहत बिछाई जायगी रेलवे लाइन
-मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी में 650 सौ पदों को खत्म किया जा रहा है
-भविष्य में जो भी कंपनी बनेगी उनमें इन्ही लोगो में से लिया जायेगा
-आउटसोर्स या फिर संविदा से पदों को नहीं भरा जायगा
-3 माह से 6 माह के बच्चो के लिए टेक होम राशन की व्यवस्था आजीविका मिशन की तहत की जायेगी
-मोटर परिवहन एक्ट में हेलमेट, बीमा और दूसरे कागजो के चलते जो जुर्माना बढ़ाया गया है, उस पर विचार के बाद ही उसे लागू किया जायेगा
केबिनेट में हुए निर्णयों की जानकारी देते हुए जनसम्पर्क मंत्री पीसी शर्मा ने पत्रकार वार्ता को सम्बोधित किया। उन्होंने बताया महापौर और अध्यक्ष का चुनाव अब पार्षद करेंगे एवं पत्रकार बीमा प्रीमियम मेँ पत्रकारों के लिये पिछले वर्ष के बराबर प्रीमियम रहेगा, बढ़ा हुआ प्रीमियम पत्रकारों को नहीँ देना होगा| बैठक में खनिज पदार्थों पर परिवहन अनुज्ञा पत्र के शुल्क में वृद्धि की गई है। वहीं उद्योगों को सस्ती बिजली देने के प्रस्ताव पर भी मुहर लगी है| इसके अलावा इंदौर-महू-मनमाड़ रेल लाइन बिछाने के लिए अब सरकार भी अंशदान देगी।
दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री कार्यकाल में निगम में महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष चुनाव करवाने का फैसला हुआ था। जबकि इससे पहले चयन का अधिकार पार्षदों को था। अब कमलनाथ सरकार प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव में बदलाव कर रही है| वर्तमान प्रावधान के तहत महापौर समेत नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्ष के लिए सीधे चुनाव होता है। जनता इन्हें चुनती है, लेकिन प्रस्ताव के तहत अब इनका चुनाव पार्षद करेंगे। वहीं पार्षदों का चुनाव पूर्व की तरह ही होगा। भाजपा ने सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। बता दें कि वर्तमान में राज्य के अधिकांश नगर निगमों के महपौर और परिषद अध्यक्ष भाजपा के हैं।