नई दिल्ली [ TNN ] केंद्र सरकार ने विदेशों में जमा काले धन रखने वाले तीन लोगों के नाम आज सुप्रीम कोर्ट में सौंप दिए हैं। इनके नाम हैं राजकोट के पंकज चमनलाल, डाबर समूह के निदेशक प्रदीप बर्मन और गोवा के खनन कारोबारी राधा टिम्बलू। आइए जानते हैं विदेशों में जमा करोंड़ों रुपए के कालाधन
कारोबारियों के बारे में-
प्रदीप बर्मन- प्रदीप बर्मन वर्तमान में डाबर इंडिया लिमिटेड के एक्सक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर आसीन हैं। उन्होंने कई ऐसी संस्थाओं के लिए काम किया है, जो लाभ नहीं कमाती हैं। बर्मन को पढ़ाई, पर्यावरण और संगीत से लगाव है। उन्होंने संदेश नाम की एक संस्था की भी स्थापना की है जो ग्रामीण महिलाओं की शिक्षा और सामाजिक आर्थिक गतिविधियों पर काम करती है। बर्मन ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और अमेरिका से 1965 में एमआईटी की डिग्री ली है। अपने कैरियर में कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए काम किया है। दुबई में अलखजा पीमेक्स के डायरेक्टर थे और वर्ष 1999 से 2001 तक उन्होंने अपनी सेवा दी थी।
इसके अलावा वे डाबर कंपनी में भी विभिन्न विभागों में काम कर चुके हैं। वे 1995 से 1998 तक डाबर इंडिया लिमिटेड के डायरेक्टर रहे हैं। बर्मन परिवार कुल मिलाकर कंपनी की 78 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है। इस कंपनी की शुरुआत 1884 में एस के बर्मन ने की थी, जो एक छोटी आयुवेर्दिक फर्म थी। कंपनी की वेबसाइट के अनुसार डाबर के ब्रांड्स में डाबर, रियल फ्रूट जूस, वाटिका, फेम और हाजमोला शामिल हैं। बर्मन के खाता खोलने के दौरान वे एक एनआरआई थे और इस लिहाज से वे इस खाते को खोलने के लिए कानूनी रूप से पात्र थे। इस बयान में यह भी बताया गया है कि बर्मन ने स्वेच्छा से यह खाता खोला है और सारे संबंधित करों की पूर्ति की है।
राधा एस टिमलु- गोवा की खनन व्यापारी राधा एस टिमलु शीर्ष खनन कारोबारियों में शामिल हैं। वर्ष 2009-10 में उन्होंने 20 करोड़ रुपये टैक्स का भुगतान किया था। राधा टिमलु का विवादों से पुराना नाता है। उनपर अवैध खनन का आरोप लगता रहा है। इनकी पार्टनरशिप वाली माइनिंग फर्म पर गोआ में अवैध रूप से खनन करने की जांच चल रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में यह कहा गया है कि टिम्ब्लू ने कानून के खिलाफ जाकर अवैध खनन किया है। रिपोर्ट में कहा गया कि खनन के लिए जिसे व्यक्ति के नाम पर लीज़ दी गई थी वह बाद में पाकिस्तान चला गया और वहीं उसकी मौत हो गई। यह व्यक्ति कभी भी माइनिंग ऑपरेशन में शामिल नहीं रहा। माइनिंग का लाइसेंस सबसे पहले बदरुद्दीन बवानी के नाम से जारी हुआ और इसका पहला नवीनरकरण बदरुद्दीन हुसैन भाई मवानी के नाम पर हुआ जिसका इस फर्म में जो टिम्ब्लू परिवार द्वारा संचालित की जा रही थी उसमें कोई फाइनेंशियल या मैनेजेरियल रोल नहीं था। उक्त तीनों के के खिलाफ केंद्र सरकार के पास पुख्ता सबूत होने के कारण ही इनके नामों का सुप्रीम कोर्ट के समक्ष खुलासा किया गया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इनके खिलाफ हलफनामा दायर किया। तीनों के खिलाफ विदेशी बैंकों में गोपनीय तरीके से पैसे रखने के मामले में जांच शुरू हो गई है। हालांकि इन तीनों का अभी तक पक्ष नहीं मिल पाया है।
पंकज चमनलाल लोढिया – केंद्र सरकार में तीसरा नाम राजकोट के मशहूर बुलियन (शेयर कारोबारी) पंकज लोढिया का नाम भी काला धन मामले में सामने आया है। ऐसी जानकारी भी मिली है कि वे राजकोट में श्रीजी ऑरनॉमेंट के संचालक भी हैं। ग्रुप की वेबसाइट के अनुसार, शुरुआत में रियल स्टेट बिजनेस किया और फिर सोना चांदी के व्यापार में लंबा बिजनेस किया। इस ग्रुप का काम पंकज लुढिया के साथ साथ उनके भाई कौशिक लुढिया देखते हैं।