36.1 C
Indore
Monday, March 24, 2025

दूसरों के ‘कंधे’ इस्तेमाल करने का यह सियासी चलन…

पूरा देश इस समय बड़ी ही बेसब्री से 2019 के चुनाव का इंतज़ार कर रहा है। सत्तापक्ष हो या विपक्षी गठबंधन हो या महागठबंधन,राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन हो या संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन,कांग्रेस हो या भारतीय जनता पार्टी या देश के अनेक क्षेत्रीय राजनैतिक दल हर जगह राजनैतिक नफे-नुकसान के मद्देनज़र बयानबाजि़यां की जा रही हैं तथा जोड़-तोड़ व गठजोड़ के प्रयास किए जा रहे हैं।

भारतीय राजनीति में एक बात तो लगभग तय हो चुकी है कि प्राय: नेताओं की न तो कोई विचारधारा होती है न ही उनका कोई स्थायी राजनैतिक दुश्मन या दोस्त। राजनीति की इस काली कोठरी में सत्ता व कुर्सी की लालच में गुरू-शिष्य के मध्य के रिश्ते व शिष्टाचार तथा आदर व त्याग की भावनाओं की भी तिलांजलि दी जा सकती है। और इसी राजनैतिक चतुराई या चालबाज़ी का ही एक रूप है दूसरों के कंधों का सहारा लेना। भारतीय राजनीति में यह परंपरा भी कोई नई परंपरा नहीं। वैसे भी हमारे देश में यह कहावत बहुत प्रचलित है कि ‘दुश्मन का दुश्मन अपना दोस्त हो सकता है’।

बहरहाल, कंधों की सियासत पर आपत्ति जताने वाला पहला बयान पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के उन्हीं के संबंध में दिए गए बयानों को लेकर दिया गया। गौरतलब है कि गत् कुछ दिनों से या यूं कहें कि लोकसभा चुनाव की घोषणा होने से कुछ ही समय पहले गडकरी ने अपने सत्ता विरोधी सुर तेज़ कर दिए हैं और वे एक-दो नहीं बल्कि लगातार कई ऐसे बयान दे चुके हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पूरी भारतीय जनता पार्टी व अध्यक्ष अमित शाह के लिए मुसीबत खड़ी करने वाले बयान साबित हो सकते हैं।

उदाहरण के तौर पर नितिन गडकरी ने अपने एक संबोधन में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की ओर मुखातिब होते हुए कहा था कि-‘पार्टी कार्यकर्ताओं को पहले अपनी घरेलू जि़ मेदारियों को पूरा करना चाहिए जो ऐसा नहीं कर सकता वह देश नहीं संभाल सकता। इसी प्रकार गडकरी ने पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि-‘नेतृत्व को हार और विफलताओं की भी जि़ मेदारी लेनी चाहिए। सफलता के कई दावेदार होते हैं लेकिन विफलता में कोई साथ नहीं होता’।  सफलता का श्रेय लेने के लिए लोगों में होड़ रहती है लेकिन विफलता को कोई स्वीकार नहीं करना चाहता। सब दूसरे की तरफ उंगली दिखाने लगते हैं और आपस में दोषारोपण करने लगते हैं जोकि सही नहीं है

। विफलता की जि़ मेदारी भी पार्टी नेतृत्व ले’। गडकरी का यह बयान राजस्थान,मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में भाजपा को मिली शिकस्त के बाद आया था। गडकरी के इस बयान का सभी विश्लेषक यही अर्थ निकाल रहे हैं कि उन्होंने अपने इस बयान से सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर अपना निशाना साधा है। नितिन गडकरी ने ही हाल ही में यह भी कहा था कि-‘ जो लोग जनता को सपने तो दिखाते हैं मगर दिखाए हुए सपने पूरे नहीं करते तो ऐसे नेताओं की लोग पिटाई भी करते हैं।’

ज़ाहिर है ‘बिल्ली के भाग से छीका टूटने’ की आस में बैठे राजनैतिक दलों को नितिन गडकरी में कुछ ऐसा ही नज़र आने लगा है जैसाकि अरूण ,यशवंत सिन्हा व शत्रुघ्र सिन्हा में दिखाई दे रहा है यानी कि मोदी-शाह व भाजपा को मात देने के लिए दूसरों के ‘कंधों का सहारा’। नितिन गडकरी के इस प्रकार के बयानों को लेकर निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी का नेत्त्व असहज स्थिति में हैं। परंतु संभवत: उस नेतृत्व को भी भलीभांति मालूम है कि नितिन गडकरी के इस प्रकार के असहज करने वाले बयान क्यों आ रहे हैं और इन बयानों के पीछे गडकरी को ताकत कहां से हासिल हो रही है। परंतु मोदी सरकार के विरोध का कोई मौ$का हाथ से न गंवाने वाले राहुल गांधी गडकरी को एक हि मत रखने वाला नेता बता रहे हैं। राहुल गंाधी ने अपने ट्वीट में लिखा था कि-‘गडकरी जी बधाई। भाजपा में अकेले आप ही हैं जिसमें हि मत है’।

इसके बाद राहुल ने गडकरी से राफेल घोटाला,अनिल अंबानी,किसानों की बदहाली तथा संसथाओं की तबाही आदि पर भी कुछ टिप्पणी देने के लिए कहा। परंतु गडकरी को राहुल की तारीफ कतई नहीं भाई। वे जानते हैं कि वे राहुल के समर्थन अथवा सहयोग के मोहताज नहीं हैं। इसीलिए उन्होंने राहुल के तारीफ के ट्वीट के फौरन बाद ही उनपर यह कहते हुए पलटवार किया कि राहुल जी,हि मत के लिए आपके सर्टिफकेट की ज़रूरत नहीं है। एक राष्ट्रीय पार्टी का अध्यक्ष होने के बावजूद आपको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करने के लिए ‘कंधे’ का सहारा लेना पड़ रहा है। उन्होंने लिखा कि हमारी सरकार पर हमला करने के लिए आप जिस तरह सहारा लेरहे हैं उससे आश्चर्य हो रहा है। यही मोदी जी व हमारी सरकार की कामयाबी है कि आपको हमला करने के लिए ‘कंधे’ ढूंढने पड़ रहे हैं।

अब आईए ‘कंधों की सियासत’ के संदर्भ में गत् दिनों समाजसेवी व गांधीवादी नेता अन्ना हज़ारे के बयान पर भी नज़र डालें। याद कीजिए 2011-14 का वह दौर जब पूरा देश कभी जनलोकपाल के आंदोलन में तो कभी विदेशी काला धन भारत लाने की मांग को लेकर,कभी कोयला घोटाला,2जी घोटाला,आदर्श घोटाला व कॉमनवेल्थ घोटाले के विरुद्ध तो कभी निर्भया जैसी दुर्भाग्यशाली लड़कियों के बलात्कार को लेकर सड़कों पर इस तरह दिखाई दे रहा था गोया देश में लीबिया जैसी कोई क्रांति आने वाली है। पूरा देश अन्ना हज़ारे के आंदोलन के साथ आश्चर्यजनक रूप से खड़ा हुआ नज़र आ रहा था। इनमें किरण बेदी व जनरल विक्रम सिंह जैसे कई चेहरे भी थे जिन्हें अन्ना आंदोलन में राष्ट्रीय स्वयं संघ की ओर से रोपित किया गया था।

यह चेहरे बाद में अपने असली रूप में आ गए और इस समय सत्ता का स्वाद भी चख रहे हैं। देश के राजनैतिक विश्लषक बड़े गौर से उस अन्ना आंदोलन को देख रहे थे जिसमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तथा भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता, कांग्रेस व यूपीए के विरोध में अन्ना हज़ारे के कंधों का सहारा लिए हुए थे। अब गत् दिनों स्वयं अन्ना हज़ारे ने यह बात अपने गांव रालेगण सिद्धि में भूख हड़ताल के दौरान स्वीकार की है। अन्ना ने कहा है कि हां भाजपा ने 2014 में चुनाव जीतने के लिए मेरा इस्तेमाल किया। उन्होंने यह भी कहा कि हर कोई जानता है कि लोकपाल के लिए मेरा आंदोलन ही था जिसने भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी को सत्ता में पहुंचाया।

अन्ना हज़ारे के ताज़ा-तरीन आंदोलन को शिवसेना तथा महाराष्ट्र नव निर्माण सेना का भी समर्थन हासिल हो रहा है। राज ठाकरे ने तो गत् सोमवार को रालेगण सिद्धि जाकर अन्ना हज़ारे से मुलकात भी कर ली। अर्थात् ठाकरे भी भाजपा के विरुद्ध अन्ना के ‘कंधों’ का इस्तेमाल करने से गुरेज़ नहीं कर रहे हैं। अर्थात् हम कह सकते हैं कि जैसे पंजाब में भाजपा को अकाली दल के कंधों की ज़रूरत महसूस होती है तो बिहार में आरजेडी व कांग्रेस के विरुद्ध उन्हीं नितीश कुमार के कंधों की जिनके विरुद्ध मोदी व शाह तथा उनकी पार्टी के नेताओं द्वारा क्या कुछ नहीं कहा गया। आज भाजपा में लगभग एक सौ के आस-पास सांसद ऐसे हैं जो भाजपाई न होने के बावजूद उनके ‘कंधोंÓ पर हाथ रखने की सियासत का ही नतीजा हैं। ऐसे में यदि राहुल ने गडकरी के ‘कंधे’ का सहारा लिया है तो कोई न कोई गडकरी को भी या तो अपना कंधा बना रहा है या गडकरी स्वयं किसी के कंधे का इस्तेमाल कर लोकसभा चुनाव से कुछ ही समय पूर्व इस प्रकार के ‘यथार्थवादीÓ बयान देने लगे हैं? अत: राजनीति में ‘कंधोंÓ के इस्तेमाल के सियासी चलन को रोका नहीं जा सकता।
:-निर्मल रानी

Related Articles

Находим лучшее зеркало Мостбет: советы пользователей

Находим лучшее зеркало Мостбет: советы пользователейПользователи, сталкивающиеся с ограничениями доступа к популярной букмекерской платформе Мостбет, знают, насколько важно найти надежное зеркало сайта. В этом...

Анализ виртуального казино с бонусами для ставок на средства

Вознаграждения в интернет гэмблинг-платформах – результативный механизм завлечения новых игроков и сохранения имеющейся аудитории игроков, которым применяют многие провайдеры. В контексте с высоким показателем...

Онлайн игорное заведение с акциями – как определить оптимальное

При составления рейтинга геймерских площадок используется всесторонний способ с рассмотрением множества параметров. Такое гарантирует, что в списке лучших виртуальных казино окажутся действительно солидные заведения,...

Sweet Bonanza Bahis Sitesinde Mega Ödüller Ýçin Þansýnýzý Katlayýn!

Yeni üyelere promosyon veren casino siteleri, katýlýmcýlara ücretsiz deneme þansý vererek oyuncular için önemli bir fýrsat sunar. Sweet Bonanza oyun sitesi, yeni kullanýcýlara özel...

Широкая бонусная программа игорного заведения: геймхолл и привилегии

Сертифицированное интернет-казино Макс Бет пользуется большой известностью у ценителей игр на удачу с денежными ставками. Отличный статус сайт завоевала благодаря качественному обслуживанию и индивидуальному...

Как определить прибыльный слот в онлайн казино с привилегиями

Онлайн казино различаются от наземных казино ввиду того, что коллекция слотов не имеет ограничений в физическим пространством. Актуальные сайты с азартными развлечениями предоставляют вниманию...

Каким способом найти безопасное игровую платформу для игры онлайн

Неверный подбор игорного заведения может дорого обойтись игроку: на ставке его время и финансы. Не спешить с вступлением в казино. Первоначально необходимо оценить рейтинг-листы,...

Как подобрать виртуальное игорное заведение с бонусами: ценные подсказки

В настоящее время поклонникам рискованных развлечений вовсе не необходимо навещать наземные казино со автоматами. На сети функционируют множество официальных платформ, предлагающих возможность играть в...

Безопасная игра в гэмблинге на средства на компьютере и телефонах.

Виртуальное казино Кент казино обладает официальной лицензией от глобальной гемблинговой комиссии Кюрасао и управляется проверенным и серьезным администратором. Пользователям доступны внушительная коллекция игровых автоматов,...

Stay Connected

5,577FansLike
13,774,980FollowersFollow
138,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

Находим лучшее зеркало Мостбет: советы пользователей

Находим лучшее зеркало Мостбет: советы пользователейПользователи, сталкивающиеся с ограничениями доступа к популярной букмекерской платформе Мостбет, знают, насколько важно найти надежное зеркало сайта. В этом...

Анализ виртуального казино с бонусами для ставок на средства

Вознаграждения в интернет гэмблинг-платформах – результативный механизм завлечения новых игроков и сохранения имеющейся аудитории игроков, которым применяют многие провайдеры. В контексте с высоким показателем...

Онлайн игорное заведение с акциями – как определить оптимальное

При составления рейтинга геймерских площадок используется всесторонний способ с рассмотрением множества параметров. Такое гарантирует, что в списке лучших виртуальных казино окажутся действительно солидные заведения,...

Sweet Bonanza Bahis Sitesinde Mega Ödüller Ýçin Þansýnýzý Katlayýn!

Yeni üyelere promosyon veren casino siteleri, katýlýmcýlara ücretsiz deneme þansý vererek oyuncular için önemli bir fýrsat sunar. Sweet Bonanza oyun sitesi, yeni kullanýcýlara özel...

Широкая бонусная программа игорного заведения: геймхолл и привилегии

Сертифицированное интернет-казино Макс Бет пользуется большой известностью у ценителей игр на удачу с денежными ставками. Отличный статус сайт завоевала благодаря качественному обслуживанию и индивидуальному...