भारतीय जनता पार्टी की असम इकाई की नेता बेनजीर अरफां को सोशल मीडिया पर रोहिंग्या मुसलमानों का समर्थन करने के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया गया है। 30 वर्षीय बेनजीर ने अपने निलंबन को “मनमाना” बताते हुए कहा कि उन्हें उनका पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया और उनसे संपर्क किए बिना ही अनुशासनात्मक कार्रवाई कर दी गयी।
बेनजीर पेशे से सिविल इंजीनियर हैं और बीजेपी मजदूर मोर्चा की कार्यकारिणी की सदस्य हैं। बेनजीर ने पार्टी से निलंबित होने के बाद लिखा, “विडंबना देखिए, मैं तीन तलाक की शिकार रही हूं, मैंने नरेंद्र मोदी सरकार के पक्ष में तीन तलाक के खिलाफ कैंपेन चलाया और अब मेरी पार्टी जिससे मैं सालों से जुड़ी थी मुझे तीन तलाक दे दिया।”
बीजेपी की असम इकाई के महासचिव दिलीप सैकिया ने बेनजरी को पार्टी से पूर्व अऩुमति लिए बिना सोशल मीडिया पर “म्यांमार की समस्याओं” पर भूख-हड़ताल का आह्वान करने के लिए कार्रवाई की है।
इस भूख-हड़ताल का आह्वान एक एनजीओ ने किया था। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार सैकिया ने निलंबन के आदेश में लिखा है कि बेनजीर का आह्वान पार्टी के सिद्धांतो के खिलाफ था और असम बीजेपी के अध्यक्ष रंजीत कुमार दास ने उन्हें बेनजीर को निलंबित करने का निर्देश दिया है।
एक स्थानीय एनजीओ ने शनिवार (16 सितंबर) को म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में कार्यक्रम का आयोजन किया था। बेनजीर ने टीओआई से कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया पर “प्रार्थना सभा” की जगह गलती से “प्रतिरोध सभा” लिख दिया।
बेनजीर ने कहा कि उन्होंने अपनी गलती मान ली थी और उन्हें लगा कि ये मामलू भूल है लेकिन पार्टी द्वारा बगैर सुनवाई के निलंबित किए जाने से स्तब्ध रह गयी। बेनजीर ने पिछले साल असम चुनाव में राज्य की जानिया विधान सभा सीट से चुनाव लड़ी थीं लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।