एक बार में तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध मानने के बाद अब केंद्र की मोदी सरकार इस मसले पर कानून लाने जा रही है। इस संबंध में मौजूदा संसद सत्र में बिल पेश किया जाएगा। सरकार के इस कदम का विरोध भी किया जा रहा है।
प्रस्तावित बिल का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध किया है। इस संबंध में बोर्ड ने आज लखनऊ में मीटिंग बुलाई है। इस मीटिंग में सरकार के कदम पर चर्चा की जाएगी।
इस आपात बैठक में शामिल होने के लिए बोर्ड की वर्किंग कमेटी के सभी 51 सदस्यों के बुलाया गया। बैठक में शिरकत करने बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसन नदवी पहुंच गए हैं। वहीं बोर्ड के महासचिव मौलना सईद वली रहमानी के अलावा सेक्रेटरी मौलना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, ख़लीलुल रहमान सज्जाद नौमानी, मौलाना फजलुर रहीम, मौलाना सलमान हुसैनी नदवी भी पहुंचे हैं।
यह बैठक करीब पांच घंटे चलेगी और दोपहर 3 बजे के आसपास आधिकारिक तौर पर बैठक में लिए गए निर्णय को सार्वजनिक किया जाएगा।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अपनी इस बैठक के जरिए सीधा संदेश सरकार तक पहुंचाना चाहता है कि वो ऐसे किसी भी तीन तलाक पर बिल का विरोध करेगा, जो उसकी सहमति के बगैर संसद में पेश किया जाएगा।
26 दिसंबर को पेश होगा बिल
क्रिसमस की छुट्टी के बाद मंगलवार को संसद में तीन तलाक बिल पेश करेगी।
सूत्रों के मुताबिक पर्सनल लॉ बोर्ड राजनीतिक दलों से भी इसका विरोध करने की अपील कर सकता है।
ऐसा है प्रस्तावित बिल
– एक साथ तीन बार तलाक (बोलकर, लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से) कहना गैरकानूनी होगा।
– ऐसा करने वाले पति को तीन साल के कारावास की सजा हो सकती है। यह गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध माना जाएगा।
– यह कानून सिर्फ ‘तलाक ए बिद्दत’ यानी एक साथ तीन बार तलाक बोलने पर लागू होगा।
– तलाक की पीड़िता अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांगने के लिए मजिस्ट्रेट से अपील कर सकेगी।
– पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से नाबालिग बच्चों के संरक्षण का भी अनुरोध कर सकती है। मजिस्ट्रेट इस मुद्दे पर अंतिम फैसला करेंगे।
– यह प्रस्तावित कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा है।