प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर नई दिल्ली स्थित ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से छठवीं बार राष्ट्र को संबोधित करेंगे। स्वतंत्रता दिवस पर उनका यह संबोधन प्रधानमंत्री के रूप में उनकी दूसरी पारी का पहला संबोधन होगा, जब वे लाल किले की प्राचीर से देश की जनता से मुखातिब होंगे।
2014 के लोकसभा चुनाव में जब भारतीय जनता पार्टी ने स्पष्ट बहुमत हासिल कर इतिहास रचा था ,तब प्रधानमंत्री पद की बागडोर थाम कर उन्होंने 15 अगस्त को पहली बार लाल किले से राष्ट्र को संबोधित किया गया था और उनका सहज ,सरल भाषा में दिया पहला भाषण देश की जनता के दिलों पर विशिष्ट छाप छोड़ने में सफल हुआ था।
लाल किले की प्राचीर से दिए गए अपने पहले भाषण के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर जो आत्मविश्वास दिखाई दे रहा था, वह इस बात का परिचायक था कि सबका साथ सबका विकास मानने वाली उनकी सरकार देश को प्रगति की नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए कृतसंकल्पित है। इस शुभ संकल्पों को पूरा करने का सामर्थ्य भी केंद्र की नई सरकार के पास मौजूद है।
उस पहले भाषण में ही प्रधानमंत्री ने जनता को इतना प्रभावित किया कि लाल किले से होने वाले उनके हर भाषण की जनता बेसबरी से प्रतीक्षा करने लगी। इस बार सारा देश स्वतंत्रता दिवस की 72 वी वर्षगांठ पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन की अभी से उत्सुकता से प्रतीक्षा करने लगा है।
देशवासियों के मन में यह उत्सुकता स्वाभाविक है ,क्योंकि 3 माह पूर्व ही लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ मोदी सरकार ने सत्ता में शानदार वापसी की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी की जीत के बाद अपने पहले भाषण में ही कहा था कि इस जीत ने हमें और अधिक जिम्मेदार बना दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि उनकी सरकार सब के विश्वास को बरकरार रखने के नेक इरादे के साथ सबका साथ सबका विकास का पुनीत लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सबको साथ लेकर चलने की नीति का अनुसरण करेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरी पारी की शुरुआत में ही यह कहा था कि देश की जनता उन्हें जिस विशाल बहुमत के साथ केंद्र सरकार की बागडोर सौंपी है, वह निसंदेह इस बात की परिचायक है कि जनता की अपेक्षाएं उनकी सरकार से बड़ी है। इसलिए प्रधानमंत्री यह चाहते हैं कि इस बार लाल किले से उनके संबोधन की विषय वस्तु क्या हो ,इस बारे में देश की जनता खुद उन्हें सुझाव दें। यह एक ऐसी पहल है जिसका हर देशवासी तहे दिल से स्वागत करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं अपने एक ट्वीट के माध्यम से देशवासियों से कहा है कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से दिए जाने राष्ट्र के नाम संबोधन में मुझे आपके सुझाव सम्मिलित करने पर प्रसन्नता होगी। प्रधानमंत्री ने नमो एप पर विशेष रूप से बनाए गए फॉर्म पर अपने सुझाव देने का अनुरोध देश की जनता से किया है। निश्चित रूप से प्रधानमंत्री की इस पहल का देशवासियों द्वारा व्यापक तौर पर स्वागत किया जाएगा।
देश की जनता के द्वारा दिए गए सुझाव पर आधारित भाषण को जब प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से पड़ेंगे, तब इसे सुनकर जनता का हर्षित होना स्वाभाविक होगा। निश्चित रूप से जनता में इसका सकारात्मक संदेश जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी स्वतंत्रता दिवस के संबोधन के लिए आम जनता से सुझाव आमंत्रित कर यह संदेश देना चाहते हैं कि अपने दूसरे कार्यकाल में वे जनता से सीधा संवाद स्थापित करने का मन बना चुके हैं।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में मन की बात कार्यक्रम के जरिए जनता तक अपनी बात पहुंचाने की जो पहल शुरू की थी ,उसने कार्यक्रम को दूर अंदाज के क्षेत्रों में भी लोकप्रिय बना दिया था। रविवार को जिस समय इस कार्यकाल का प्रसारण रेडियो और ट्रांजिस्टर पर किया जाता था, उस समय जनता अपनी दिनचर्या के कामों को थोड़ी देर के लिए स्थगित कर प्रधानमंत्री के विचारों पर अपना ध्यान केंद्रित करती थी।
50 एपिसोड के इस लोकप्रिय कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने समाज के हर वर्ग से जुडकर कई महत्वपूर्ण विषयों पर अपने सारगर्वित विचारों को जनता तक पहुंचाया। इस कार्यक्रम में लोगों को प्रेरणा और प्रोत्साहन भी मिला और जटिल समस्याओं के समाधान के लिए सरकार के प्रयासों की जानकारी भी मिली। मन की बात कार्यक्रम जनता से संवाद कायम करने की दिशा में एक एक ऐसा अनूठा कार्यक्रम साबित हुआ, जिससे नवीनता भी थी और रोचकता भी।
हमेशा से ही लीक से हटकर फैसले करने में विश्वास रखने वाले प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से भाषण देने के लिए जनता जनता से सुझाव मांग कर फिर एक बार यही संदेश देने की कोशिश की है कि वे सबको साथ लेकर और सब को भरोसे में लेकर अपने सारे फैसले लेते हैं।
स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करने के लिए उन्होंने देश की जनता से सुझाव आमंत्रित करके यह भी साबित कर दिया है कि वे हमेशा देश की जनता के विचारों का सम्मान करेंगे। राजनेताओं के बारे में इस आम धारणा को उन्होंने गलत साबित कर दिया कि चुनाव जीतने के बाद राजनीतिक दलों के नेताओं को जनता के विचार जानने की फुर्सत नहीं मिलती है। निश्चित रूप से देश प्रधानमंत्री की इस पहल का स्वागत करेगा कि चुनाव जीतने के बाद जनता के सुझाव उनके लिए पहले से अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं।
प्रधानमंत्री इस बार ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से जब सारे राष्ट्र के नाम पर संबोधन दे रहे होंगे ,तब देश की जनता इस बात के लिए खुद को गर्वित महसूस करेगी कि प्रधानमंत्री के संबोधन में उसका भी परोक्ष योगदान है। देश की जनता के लिए यह भी सुकून का विषय हो सकता है कि प्रधानमंत्री ने एक अनूठी पहल की शुरुआत की है और यह सिलसिला निरंतर 5 सालों तक यूं ही चलता रहेगा।
कृष्णमोहन झा
(लेखक IFWJ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और डिज़ियाना मीडिया समूह के राजनैतिक संपादक है)