मंडला- आज दिनांक 7 अक्टूबर 2016 को मध्य प्रदेश वन विभाग के द्वारा निर्मित वृत्त चित्र टर्निंग द क्लाॅक बैक दी बारासिंगा रिटर्न्स का लोकार्पण वन्य प्राणी संरक्षण सप्ताह 2016 के समापन समारोह के दौरान वन विहार में किया जाएगा। इस फिल्म के जरिये देश – दुनिया को यह दिखाया जाएगा कि कैसे कान्हा टाइगर रिज़र्व प्रबंधन ने प्रदेश पशु बारासिंगा को बिना किसी नुक्सान पहुंचाए सफल रूप से उसे भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान और फिर सतपुड़ा के बोरी क्षेत्र में पुनस्र्थापित कर दिया।
पूरी दुनिया में दलदली हिरणों की उप प्रजाति हार्ड ग्राउंड बारासिंगा केवल म.प्र. के कान्हा टाइगर रिजर्व में ही पाई जाती है। यह बेहद सुंदरऔरनाजु कहिरण हमारा राज्य वन्य जीव है। सन् 1970 में हार्ड ग्राउंड बारासिंगों की संख्या मात्र 66 ही रह जाने से उन परविलुप्ति का खतरा मंडरा रहा था। कान्हा टाईगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा विशेष रूप से तैयार किये गए बाड़ों के आसपास प्रतिदिन गश्ती एवं अजगर आदि से बारासिंघा बच्चों को बचाने श्री जोधा एवं श्री चैतू जैसे मैदानी अमले द्वारा भी लगातार अथक प्रयास किये गये जिन्हें समय-समय पर शासकीय /विभिन्न अशासकीय संस्थाओं द्वारा पुरूस्कृत भी किया गया है।
1970 से निरंतर किये जा रहे सघन प्रयासों जैसे कि शिकार से सुरक्षित बाड़े का निर्माण, आवास में दलदली क्षेत्रों औरबड़े घास के मैदानों का निर्माण जैसे प्रयासों से उनकी संख्या अब बढ़कर 700 से अधिक हो गई है। लेकिन सारे बारासिंगा एक हीस्थान पर रहने से उन पर किसी बीमारी के हमले आदि से विलुप्त हो जाने का खतरा लगातार बना हुआ था। पूर्वमें 2 अवसरों पर बारासिंगा को अन्यत्र बसाने के प्रयास असफल हो चुके थे, लेकिन मध्य प्रदेश वन विभाग ने हिम्मत नहीं हारी और जब इन की संख्या 700 से अधिक होने लगी तो इन्हें अन्यत्र बसाने के लिये एक और प्रयास करने की ठानी।
पूर्व में प्रयासों की असफलता की शुरूआत बारासिंगा परिवहन हेतु पकड़ने के समय से ही हो गई थी अतः उन्हें पकड़ने के लिये एक त्रुटि रहित तकनीक का विकास करते हुए सुरक्षित नये स्थल तक ले जाना सर्वप्रमुख था। तत्कालीन क्षेत्र संचालक कान्हा टाईगर रिजर्व जसबीर सिंह चौहान ने इस हेतु अफ्रीका के विरलवनों एवं सवाना मैदान मेंउ पयोग की जाने वाली बोमा तकनीक को प्रदेश के सघनवनों की परिस्थितियों के अनुरूप ढालाऔर जनवरी 2015 से जनवरी 2016 के बीच 4 चरणों में बारासिंगा को लाकर पहले भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान और फिर सतपुड़ा के बोरी क्षेत्र में पुनस्र्थापित कर दिया।
पुनस्र्थापित किये बारासिंगा अब अपने नये अवास स्थलों को अपना चुके हैं और प्रजनन करते हुए अपनी संख्या भी बढ़ा रहे हैं। बिना कोई बारासिंगा खोए वनकर्मियों ने कैसे इस मुश्किल को रात-दिन लगातार अथक प्रयास कर सफल कर दिखाया है। इस ख़ास आपरेशन को फिल्म ”टर्निंग द क्लाॅक बैक – बारासिंगा रिटन्र्स“ में दिखाने का बखूबी प्रयास किया गया है। इस फिल्म का निर्देशन अनिल यादव एवं छायांकन राजा छारी ने किया है।
रिपोर्ट- @सैयद जावेद अली