नई दिल्ली : विपक्ष की मांगों को स्वीकार करते हुए कैबिनेट ने एक साथ तीन तलाक विधेयक में संशोधनों को हरी झंडी दे दी है। इसके बाद अब सरकार इस बिल को राज्यसभा में पास करवाने की कोशिश में है। इसी कड़ी में सरकार आज इस संशोधित बिल को सदन में पेश किया जाएगा। इस बीच सूचना है कि अगर बिल राज्यसभा में पास होता है तो संसद सत्र एक दिन के लिए बढ़ाया जा सकता है।
इस बिल को राज्यसभा में भी पास करवाने के लिए सरकार रणनीति बनाने में लगी है और इसके लिए संसद में ही भाजपा की बैठक जारी है। इस बैठक में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, मुख्तार अब्बास नकवी और रवि शंकर प्रसाद मौजूद हैं।
राज्यसभा में बिल पेश होने से पहले इसे लेकर कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी भी शुरू हो गई है। कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने कहा कि महिलाओं के साथ हर समाज में बुरा व्यवहार होता है। सिर्फ मुस्लिम ही नहीं बल्कि हिंदू, ईसाई और सिखों में पुरुषों का दबदबा होता है। यहां तक की श्रीराम ने भी सीता पर शक कर उन्हें छोड़ दिया था। इसलिए हमें संपूर्ण रूप से बदलना होगा।
तीन अहम संशोधन
1. अब एक साथ तीन तलाक के आरोपित पति को जमानत मिल सकती है। मूल विधेयक में यह गैर-जमानती अपराध था। अब मजिस्ट्रेट जमानत दे सकता है।
2. मूल विधेयक में पड़ोसी को भी आरोपित के खिलाफ पुलिस में शिकायत करने का अधिकार था। अब इसे पत्नी या उसके रक्त संबंधी तक सीमित कर दिया गया है।
3. विधेयक में तीसरे संशोधन के तहत तीन तलाक मामले में आपराधिक प्रक्रिया शुरूकरने के पहले दोनों पक्षों में समझौते का विकल्प खोला गया है। इसके तहत पति-पत्नी दोनों चाहें तो मजिस्ट्रेट के सामने समझौते से तलाक खत्म कर सकते हैं। इसके बाद आपराधिक कार्रवाई नहीं होगी।
इससे पहले गुरुवार को केंद्रीय कैबिनेट ने इस बिल में तीन अहम संशोधनों को मंजूरी दे दी। इन संशोधनों के अनुसार, तत्काल तलाक के आरोपित पतियों को न सिर्फ जमानत मिल सकेगी, बल्कि मजिस्ट्रेट के सामने समझौते का विकल्प भी खुला रहेगा।
कांग्रेस से मदद की उम्मीद
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संशोधनों के बाद कांग्रेस से राज्यसभा में इस विधेयक को पास कराने में मदद की उम्मीद जताई। यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पास हो चुका है। लेकिन राज्यसभा में संख्या बल के कारण विपक्ष इसका विरोध कर रहा था। विपक्ष और खासकर कांग्रेस इसमें संशोधनों की मांग कर रही थी।
राजग की कमजोर स्थिति के कारण विपक्षी सदस्यों को मनाने के लिए विधेयक में संशोधन की जरूरत थी, जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। संशोधनों में विपक्ष की आपत्तियों को समाहित करने का प्रयास किया गया है। संशोधनों के साथ विधेयक के राज्यसभा में पास होने के बाद उसे दोबारा लोकसभा में भेजना पड़ेगा। लोकसभा में इन संशोधनों को हरी झंडी मिलने के बाद ही विधेयक को संसद से पारित माना जाएगा।