नई दिल्ली: मुस्लिम समाज में तीन तलाक की प्रथा को लेकर शुक्रवार को लोकसभा में ताजा बिल पेश हुआ है। इस बि बिल को मोदी सरकार के मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पेश किया। वहीं कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने इसका विरोध किया। ये बिल पिछली भाजपा-नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार द्वारा फरवरी में जारी मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 की जगह लेगा। बीते माह 16वीं लोकसभा भंग होने पर राज्यसभा में ये बिल स्थगित रह गया था।
रविशंकर प्रसाद ने कहा- मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की जाएगी। यह महिलाओं के न्याय और सशक्तिकरण का मसला है। लोगों ने हमें कानून बनाने के लिए चुना है। कानून बनाना हमारा काम है। ट्रिपल तालक के पीड़ितों को न्याय देना कानून है।
ट्रिपल तालाक बिल 2019 को लोकसभा में पेश करने के लिए आज कागजी पर्चियों के माध्यम से मतदान आयोजित किया गया क्योंकि नए सांसदों को अभी तक विभाजन संख्या आवंटित नहीं की गई है। जो उन्हें मतदान मशीन का उपयोग करके मतदान करने की अनुमति देता है।
संविधान के नियमों के मुताबिक, लोकसभा में अगर कोई विधेयक पारित कर दिया जाता है और वह अगर उच्च सदन राज्यसभा में लंबित हो जाता है। विधेयक के लंबित होने की स्थिति में अगर लोकसभा भंग कर दी जाती है तो वह विधेयक भी निष्प्रभावी हो जाता है। पहले 2 बार लाए गए इस अध्यादेश को लेकरजहां एक ओर कई पार्टियां इस विधेयक का समर्थन कर रही हैं तो वहीं कई अन्य पार्टियां इस विधेयक का विरोध कर रही है।
Union Law & Justice Minister & BJP leader Ravi Shankar Prasad after Triple Talaq Bill 2019 introduced in Lok Sabha: People have chosen us to make laws. It is our work to make laws. Law is to give justice to the victims of Triple Talaq. https://t.co/M3mkPpLlH2
— ANI (@ANI) June 21, 2019
सपा के नवनिर्वाचित सांसद एसटी हसन का कहना है कि तीन तलाक और निकाह हलाला पर कानून बनाना शरीयत में दखलअंदाजी है और इससे धार्मिक स्वतंत्रता को ठेस पहुंचेगी। इस बिल के तहत तीन तलाक के जरिए जो भी मुस्लिम शख्स अपनी पत्नी को तलाक देगा उसे तीन साल की जेल की सजा सुनाई जाएगी। ये बिल बीते दिसंबर में लोकसभा में पास हुआ था। लेकिन ये राज्य सभा में पास नहीं हो सका था क्योंकि राज्यसभा में विपक्ष की संख्या ज्यादा थी। तब विपक्ष इस बिल को पार्लियामेंट की कमेटी के पास भेजना चाहता था। सरकार ने इस मांग को खारिज कर दिया। कांग्रेस समेत कई विपक्ष दल तीन तलाक के चलते पति को 3 साल की कैद के पक्ष में नहीं थे। उन्होंने तर्क दिया कि एक घरेलू प्रावधान में दंडात्मक प्रावधान को पेश नहीं किया जा