नई दिल्ली- दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) को बड़ा झटका लग सकता है। लाभ का पद मामले में फंसे आप के 21 विधायकों की सदस्यता बचाने के लिए लाया गया बिल राष्ट्रपति ने नामंजूर कर दिया है।
चुनाव आयोग इस मामले में पहले ही नोटिस जारी कर चुका है। हालांकि दिल्ली सरकार का कहना है कि इन विधायकों को संसदीय सचिव के तौर पर कोई सुविधा दी ही नहीं गई है। इसलिए इन्हें कोई खतरा नहीं।
शीर्ष सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली सरकार के बिल को लौटा दिया है। इस बिल में राज्य सरकार के संसदीय सचिव के पद को लाभ का पद नहीं मानने का प्रावधान किया गया था।
केजरीवाल सरकार ने आप के 21 विधायकों को संसदीय सचिव पद दिया था। मगर इसे लाभ का पद मानते हुए चुनाव आयोग ने इन्हें नोटिस जारी कर पूछा था कि इनकी सदस्यता क्यों नहीं खत्म कर दी जाए।
उधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार नागेंद्र शर्मा के मुताबिक, राज्य सरकार का स्पष्ट मानना है कि यह पद लाभ का नहीं है। इनकी नियुक्ति की अधिसूचना में ही यह साफ कर दिया गया था कि इन्हें अलग से कोई सुविधा नहीं दी जाएगी।
यह विधेयक इसलिए पारित किया गया था कि अगर भविष्य में इन्हें इनकी जिम्मेदारी पूरी करने के लिए कोई सुविधा देनी होती तो वह संभव हो सके। एक साल पुराने इस बिल को जानबूझ कर लटकाए रखा गया। इसे राज्य सरकार ने पिछले साल जून में ही पारित कर दिया था। अब इस बिल के लौटाए जाने के बावजूद विधायकों की सदस्यता पर सीधे कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। चुनाव आयोग की ओर से जारी नोटिस के जवाब में भी कहा जा चुका है कि इस पद पर अलग से कोई लाभ नहीं दिया जा रहा।
केजरीवाल सरकार को खतरा नहीं अगर…
इस मामले में विधायकों के खिलाफ चुनाव आयोग कार्रवाई करता है तो 70 सदस्यों वाली विधानसभा में 21 विधायकों को सदस्यता गंवानी होगी।
हालांकि 67 सदस्यों का अपार बहुमत होने की वजह से केजरीवाल सरकार पर कोई खतरा नहीं है, क्योंकि इनके बिना भी वह 46 सदस्यों के साथ बहुमत में होगी।
मगर खाली हुई सीटों पर छह महीने के अंदर दोबारा चुनाव करवाना होगा। अगर इनमें से कुछ सीटें भी कम होती हैं तो इसे केजरीवाल की लोकप्रियता में कमी के तौर पर देखा जाएगा।
मोदी जी काम नहीं करने देते : केजरीवाल
इस बारे में केजरीवाल ने कहा कि किसी विधायक को एक पैसा नहीं दिया। कोई गाड़ी-बंगला नहीं दिया। सब विधायक मुफ्त में काम कर रहे थे। मोदी जी कह रहे हैं- घर बैठो, कोई काम नहीं करेगा। एक विधायक को बिजली पर लगा रखा था, एक को पानी पर, एक को अस्पताल पर और एक को स्कूल पर। मोदी जी कहते हैं-‘न काम करूंगा न करने दूंगा।’