ट्रंप ने कहा, ‘अगर यह उनका निर्णय हुआ तो मेरे लिए यह चौंकाने वाला होगा। उन्हें मुझे यह बताना होगा। मैंने रविवार सुबह उनसे बात की थी फोन किया था और मैनें कहा था कि हम निर्यात को अनुमति देने के आपके निर्णय का स्वागत करेंगे। अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो कोई बात नहीं लेकिन यकीनन उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे।’
अमेरिका में कोरोना वायरस के बढ़ रहे खतरे के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बेहद सख्त लहजे में भारत से हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन दवा भेजने की मांग की है।
ट्रंप ने मंगलवार को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर भारत कोरोनो वायरस से लड़ने के लिए महत्वपूर्ण दवा का निर्यात नहीं करता है तो ‘उसे अमेरिका का बदला झेलना पड़ सकता है।’
ट्रंप ने सोमवार को व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, ‘यह मेरे लिए चौंकाने वाला होगा क्योंकि भारत के अमेरिका के साथ अच्छे संबंध है।’ भारत से श्रीलंका और नेपाल ने भी ऐसी ही मांग की है।
वहीं भारत का कहना है कि भारत निर्यात प्रतिबंध हटाने पर गौर कर रहा है। भारत के कई वर्षों तक अमेरिका से व्यापारिक लाभ उठाने की बात दोहराते हुए ट्रम्प ने कहा कि नयी दिल्ली का अमेरिका को ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ का निर्यात ना करना चौंकाने वाला होगा।
ट्रंप ने कहा, ‘अगर यह उनका निर्णय हुआ तो मेरे लिए यह चौंकाने वाला होगा। उन्हें मुझे यह बताना होगा। मैंने रविवार सुबह उनसे बात की थी फोन किया था और मैनें कहा था कि हम निर्यात को अनुमति देने के आपके निर्णय का स्वागत करेंगे। अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो कोई बात नहीं लेकिन यकीनन उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे।’
उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों ही देश कोविड-19 संकट से निपटने में लगे हैं।
बीते दिनों ट्रंप ने भारत से हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन दवा मांगी थी। हालांकि भारत की ओर से इस दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह दवा मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल की जाती है।
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए इसका रोगियों पर इस्तेमाल किया जाता है, ताकि उनका इम्यून सिस्टम मजबूत हो सके।
बता दें सरकार ने मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन के निर्यात पर पाबंदी और सख्त कर दी है तथा विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज) की इकाइयों को भी रोक के दायरे में शामिल कर दिया गया है।
सरकार ने देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण परिस्थिति बिगड़ने की आशंकाओं को देखते हुए ये रोक लगाया था, ताकि देश में जरूरी दवाओं की कमी नहीं हो।
विदेशी व्यापार महानिदेशालय ने एक अधिसूचना में कहा, ‘हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन तथा इससे बनने वाली अन्य दवाओं का निर्यात अब सेज से भी नहीं हो सकेगा, भले ही इसके लिये पहले मंजूरी दी जा चुकी हो अथवा भुगतान किया जा चुका हो। निर्यात पर बिना किसी छूट के पाबंदी रहेगी।’
सीमा शुल्क नियमों के मामले में सेज (SEZ) को विदेशी निकाय माना जाता है। इस कारण निर्यात पर रोक के आदेश आम तौर पर सेज पर लागू नहीं होते हैं।
सरकार ने घरेलू बाजार में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन के निर्यात पर 25 मार्च को रोक लगाने की घोषणा की थी।
बीते दिनों ट्रंप ने मोदी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की। इस दौरान ट्रंप ने मोदी से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टेबलेट्स की सप्लाई की गुजारिश की थी।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मैं भी इसे (दवा को) ले सकता हूं, मुझे डॉक्टरों से इस बारे में बात करनी होगी।