ग्रेटर नोएडा : ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी गांव में मंगलवार रात छह मंजिला दो इमारतें ढहने से चार लोगों की मौत होने के सिलसिले में पुलिस में तीन लोगों को गिरफ्तार कर, 18 लोगों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले का संज्ञान लेते हुए नोएडा के जिलाधिकारी को राहत एवं बचाव कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया है।छह मंजिला दोनों इमारतों में रह रहे 12 परिवारों के सदस्यों व चार मजदूरों समेत 50 से भी ज्यादा लोगों के दबे होने की आशंका है।
इस हादसे के लिए जिम्मेदार बताए जा रहे तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जिनमें बिल्डर गंगा शरण द्विवेदी भी शामिल हैं। गिरफ्तार अन्य दो लोग बिल्डर के सहयोगी बताए जा रहे हैं। हादसे को 18 घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन तकरीबन 50 से अधिक लोग अब भी मलबे में ही दबे हुए हैं।
जिलाधिकारी बीएन सिंह व एसपी देहात आशीष श्रीवास्तव समेत छह थानों की पुलिस व गाजियाबाद से नेशनल डिजास्टर रेस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) की टीम मौके पर पहुंची और रात करीब साढ़े दस बजे के बाद राहत तथा बचाव कार्य शुरू किया। एनडीआरएफ की चार टीमें राहत और बचाव कार्य में लगी हैं।
समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, हादसे में अब तक 4 लोगों के शव निकाले गए हैं। मौके पर पांच बुलडोजर व दो हाईड्रोलिक क्रेनों को लगाया गया है।
देर रात एक बजे तक दो ही शव निकाले जा सके थे, तीसरा शव सुबह निकाला जा सका। चौथा शव बुधवार दोपहर निकाला गया। वहीं, बताया जा रहा है कि निर्माणाधीन इमारतों के धराशायी होने से अभी भी कई परिवार के लोग मलबे में दबे हुए हैं। अपने दोस्तों को देखने पहुंची युवती ने रोते हुए बताया कि उसके 3 साथी इसी इमारत में रहते थे, जिनका पता नहीं चला है।
पुलिस के मुताबिक दोनों इमारतें अवैध रूप से बनाई गई थीं। एक इमारत तो पूर्ण हो गई थी, जबकि एक में कुछ काम चल रहा था। पूर्ण इमारत में 12 परिवार रहने लगे थे। जिस इमारत में काम चल रहा था उसमें चार मजदूर रहते थे। रात करीब साढ़े नौ बजे अचानक दोनों इमारतें भरभराकर गिर गईं।
इसके कारण उनके अंदर रह रहे परिवारों के सदस्य व चार मजदूर मलबे में दब गए। इनकी संख्या 50 से भी ज्यादा हो सकती है। तेज आवाज के साथ इमारतों के गिरते ही आसपास में अफरातफरी मच गई।
लोगों ने पुलिस को फोन किया। सबसे पहले मौके पर जिलाधिकारी पहुंचे। इसके बाद छह थानों की पुलिस पहुंची। गाजियाबाद से एनडीआरएफ की 20 सदस्यीय टीम के पहुंचने के बाद राहत व बचाव कार्य में तेजी आई। बचावकर्मी घटनास्थल पर बुलडोजर व क्रेनों की मदद से मलबा हटाने में जुट गए।
बिल्डिंग के निर्माण में भी नियमों को ताक पर रखा गया और महज तीन महीने में ही छह मंजिला इमारत खड़ी कर दी गई थी। आसपास के लोगों का कहना है कि बेसमेंट में पानी भरा हुआ था।
इसके कारण भवन में काफी सीलन थी। राहत व बचाव कार्य में जुटे लोगों का मानना है कि प्रथम दृष्टया सीलन के कारण ही भवनों के जमींदोज होने के लक्षण दिखाई दे रहे हैं।
शायद यही कारण है कि भवन नीचे के तल से गिरी है। बिल्डिंग में भी सीवर कनेक्शन नहीं था और माना जा रहा है कि सेप्टिक टैंक से काम चलाया जा रहा था। हो सकता है कि टैंक कहीं से लीक हुआ और पानी दीवारों को कमजोर करने लगा।
बताया जा रहा है कि धराशायी हुई इमारत में एक परिवार मंगलवार को ही शिफ्ट हुआ था। इससे पहले वह किसी दूसरी कॉलोनी में रह रहा था।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने ग्रेटर नोएडा में दो इमारतों के धराशायी होने के मामले का संज्ञान लेते हुए राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर संचालित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने गौतमबुद्ध नगर के डीएम, एसपी तथा एनडीआरएफ को युद्धस्तर पर तुरंत बचाव कार्य संचालित करने के निर्देश दिए हैं।
नोएडा के भाजपा विधायक पंकज सिंह ने कहा कि मामले में दोषियों के खिलाफ तो सख्त कार्रवाई होनी ही चाहिए। इसके अलावा जिम्मेदारी अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। अवैध निर्माण पर सख्ती से रोक लगनी चाहिए। इस तरह के निर्माण को नजर अंदाज करने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।
बता दें कि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने इस एरिया में निर्माण कार्य पर रोक लगाई हुई है। इसके बावजूद यहां बड़ी संख्या में अवैध निर्माण हो रहा है। यहां किसानों से जमीन लेकर कई-कई मंजिला इमारतें बना दी गई हैं। इन पर फ्लैट बनाकर लोगों को बेचा जा रहा है। फ्रॉड के भी कई मामले सामने आ चुके हैं।
जिलाधिकारी बीएन सिंह व एसपी देहात आशीष श्रीवास्तव समेत छह थानों की पुलिस व गाजियाबाद से एनडीआरएफ की 20 सदस्यीय टीम मौके पर पहुंची और रात करीब साढ़े दस बजे के बाद राहत तथा बचाव कार्य शुरू किया। इस कार्य में पांच बुलडोजर व दो हाईड्रोलिक क्रेनों को लगाया गया है। रात साढ़े बारह बजे तक एक युवक के शव को निकाला जा सका है।
पुलिस के मुताबिक दोनों इमारतें अवैध रूप से बनाई गई थीं। एक इमारत तो पूर्ण हो गई थी, जबकि एक में कुछ काम चल रहा था। पूर्ण इमारत में 12 परिवार रहने लगे थे। जिस इमारत में काम चल रहा था उसमें चार मजदूर रहते थे। रात करीब साढ़े नौ बजे अचानक दोनों इमारतें भरभराकर गिर गईं। इसके कारण उनके अंदर रह रहे परिवारों के सदस्य व चार मजदूर मलबे में दब गए। इनकी संख्या 50 से भी ज्यादा हो सकती है।
तेज आवाज के साथ इमारतों के धराशायी होते ही आसपास में अफरा-तफरी मच गई। जिलाधिकारी के अलावा छह थानों की पुलिस और गाजियाबाद से एनडीआरएफ की 20 सदस्यीय टीम मौके पर पहुंची। इसके बाद राहत व बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। बचावकर्मी घटनास्थल पर रोशनी की व्यवस्था करने के बाद बुलडोजर व क्रेनों की मदद से मलबा हटाने में जुट गए।
आसपास के लोगों का कहना है कि दोनों इमारतों में बेसमेंट भी बना हुआ था। बेसमेंट में पानी भरा हुआ था। इसके कारण भवन में काफी सीलन लग गया था। राहत व बचाव कार्य में जुटे लोगों का मानना है कि प्रथमदृष्टया सीलन के कारण ही भवनों के जमींदोज होने के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। कारण है कि भवन नीचे के तल से गिरे हैं।
दोनों भवन खसरा नंबर पांच पर अवस्थित थे। इसके मालिक का नाम गंगा शरण द्विवेदी बताया जा रहा है, जो गाजियाबाद के रहने वाले हैं। हालांकि, समाचार लिखे जाने तक यह स्पष्ट नहीं हो सका था कि भवन बनाने वाला बिल्डर कौन है।
बताया जा रहा है कि धराशायी हुई इमारत में एक परिवार मंगलवार को ही शिफ्ट हुआ था। इससे पहले वह किसी दूसरी कॉलोनी में रह रहा था।
साबेरी गांव का ग्रेटर नोएडा में अधिग्रहण 2010 में रद्द हो गया था। इसके बाद गांव में बड़ी संख्या में कालोनाइजर सक्रिय हो गए। उन्होंने किसानों से सस्ती दर से जमीन खरीदकर ऊंची-ऊंची इमारतें खड़ी कर दीं। इन भवनों का न तो कहीं से नक्शा पास करया गया और न ही किसी आर्किटेक्ट से सत्यापित कराया गया। निर्माण सामग्री की गुणवत्ता एकदम घटिया है। कालोनाइजर सस्ती कीमत पर फ्लैट बनाकर ऊंची दरों में बेचकर गायब हो गए हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्रेटर नोएडा में दो इमारतों के धराशायी होने के मामले का संज्ञान लेते हुए राहत एवं बचाव कार्य युद्धस्तर पर संचालित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक तथा एनडीआरएफ को युद्धस्तर पर तुरंत बचाव कार्य संचालित करने के निर्देश दिए हैं।