नई दिल्ली : राफेल डील को लेकर एक और बड़ा खुलासा सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2015 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 36 राफेल फाइटर एयरक्राफ्ट की डील का फ्रांस के साथ ऐलान किया था तो उस वक्त अनिल अंबानी फ्रांस के रक्षामंत्री जीन व्येस ले ड्रियान से के दफ्तर में उनसे मुलाकात करने पहुंचे थे। इस दौरान अनिल अंबानी ने रक्षामंत्री के शीर्ष सलाहकारों से मुलाकात की थी। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक इस मुलाकात में रक्षामंत्री के विशेष सलाहकार जीन क्लाउडे मैलेट, इंडस्ट्री सलाहकार क्रिस्टोफर सोलोमन, और तकनीकी सलहाकार ज्येफरी बॉयकॉट शामिल थे।
अंबानी की मुलाकात को सोलोमन ने गोपनीय और सुनियोजित बताया बताते हुए कहा था कि आप इतने कम समय में इस मुलाकात को समझ सकते हैं। इस मुलाकात में अंबानी ने एयरबस हेलीकॉप्टर जिसमे कॉमर्शियल और डिफेंस हेलीकॉप्टर शामिल हैं, दोनों ही क्षेत्र में काम करने की इच्छा जाहिर की थी। इस दौरान उन्होने एमओयू की भी चर्चा की थी, जिसकी तैयारी की जा रही थी। उन्होंने पीएम मोदी के दौरे के दौरान इस एमओयू में शामिल होने की भी इच्छा जाहिर की थी।
बता दें कि राफेल डील पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट सोमवार को राष्ट्रपति को भेज दी है। आज (मंगलवार) कैग की रिपोर्ट संसद में रखी जा सकती है। बताया गया है कि कैग की जो रिपोर्ट संसद में रखी जा रही है, उसमें राफेल की कीमत का जिक्र नहीं है। कांग्रेस राफेल डील में भारी घपले का आरोप लगाते हुए लगातार सरकार पर हमलावर है तो सरकार की ओर से डील को पारदर्शी बताया जा रहा हैं।
इस रिपोर्ट के पेश होने से पहले ही कांग्रेस ने इसपर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल का कहना है कि सीएजी के चेयरमैन राफेल डील में खुद शामिल थे ऐसे में वह जानबूझकर इस मामले में सरकार को क्लीन चिट दे रहे हैं। उन्होंने चेताया है कि हम उन तमाम अधिकारियों पर नज रख रहे हैं जो सरकार के प्रति वफादार बनने की कोशिशों में जुटे हैं