नई दिल्लीः केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार इन दिनों बेरोजगारी के मुद्दे पर चौतरफा घिरी हुई है। विपक्ष जहां पीएम नरेंद्र मोदी पर झूठ बोलने और रोजगार देने के वादे पर लोगों से छल करने का आरोप लगा रही है, वहीं भारत सरकार के श्रम मंत्रालय के लेबर ब्यूरो ने भी वार्षिक रोजगार-बेरोजगार सर्वे में मोदी सरकार को झटके देने वाले खुलासे किए हैं। सर्वे के मुताबिक पिछले पांच साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी बढ़ी है। लेबर ब्यूरो ने 1 लाख 56 हजार 563 हाउसहोल्ड का सर्वे किया है, जिसमें पता चला है कि बेरोजगारी की दर पिछले पांच सालों के सर्वोच्च पांच फीसदी पर पहुंच गई है।
इस सर्वे में 15 साल से ऊपर के युवाओं को शामिल किया गया था। सर्वे के मुताबिक 2011-2012 में बेरोजगारी की दर 3.8 फीसदी थी जो बढ़कर 2012-2013 में 4.7 फीसदी और 2013-14 में 4.9 फीसदी हो गई थी। मोदी सरकार के सत्ता में आने का वर्ष यानी 2014-2015 में मंत्रालय ने सर्वे नहीं किया। उसके अगले साल 2015-2016 में यह दर घटी नहीं बल्कि और बढ़ गई। इस साल यह दर बढ़कर 5 फीसदी हो गई। यानी केंद्र में सरकार बदलने से देश में बेरोजगारों के हालात नहीं सुधरे। बता दें कि नरेंद्र मोदी ने चुनावी रैलियों में प्रति वर्श एक करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा किया था।
मोदी सरकार के लिए आगे की राह भी आसान नहीं है। संयुक्त राष्ट्र की संस्था अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने हाल ही में जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि साल 2019 तक बेरोजगारों की संख्या बढ़कर 1 करोड़ 89 लाख हो जाएगी। इस रिपोर्ट के अनुसार 2019 में भारत में कुल कर्मचारियों की संख्या 53.5 करोड़ होगी मगर उनमें से 39.8 करोड़ लोगों को उनकी योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिलेगी। मौजूदा साल में भी बेरोजगारी की हालत में सुधार के संकेत नहीं हैं। यानी आने वाले दिनों में देश में रोजगार की स्थिति और बदतर हो सकती है।