नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट से निराश किया। कम से कम सोशल मीडिया पर तो यही प्रतिक्रिया आ रही है। रिएक्शंस से साफ है कि मिडल क्लास और सैलरीड क्लास को बजट नहीं पसंद आया। इनकम टैक्स स्लैब में कोई राहत नहीं मिली। आयकर दरों में भी बदलाव नहीं हुआ। सरकार ने बड़े इंतजार के बाद क्रिप्टोकरेंसी पर पत्ते खोल दिए हैं मगर भारी टैक्स लगाकर बहुतों के अरमानों पर पानी फेर दिया। इसके अलावा, नॉन-ब्लेंडेड फ्यूल पर भी ड्यूटी लगा दी गई है। एक तरफ सीतारमण संसद में बजट पेश कर रही थीं, दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर ‘मिडल क्लास’, ‘सैलरीड’, ‘क्रिप्टोकरेंसी’, ‘30% टैक्स’ जैसे कीवर्ड्स ट्रेंड करने लगे थे। लोगों ने कहा कि बजट में मिडल क्लास और सैलरीड एम्प्लायीज के लिए कुछ नहीं हैं।
दिया तो कुछ नहीं, लेने का इंतजाम कर दिया
वित्त मंत्री ने बजट में कमाऊ तबके को राहत भरा कोई बड़ा ऐलान नहीं किया। कोरोना वायरस महामारी के चलते बहुतों की नौकरियां चली गईं। वेतन में कटौती झेलने वालों की संख्या भी बड़ी है। छोटे कारोबारी संकट में हैं। डायरेक्ट टैक्स में कोई राहत न मिलने से सैलरीड क्लास निराश हुआ। मिडल क्लास के लिए घर चलाना मुश्किल हो रहा है, मगर बजट की घोषणाओं में उसके लिए कुछ नहीं था। मिडल क्लास को इनकम टैक्स में राहत की उम्मीद थी, मगर वह भी नहीं हुआ।
M0di G0vernment’s Zer0 Sum Budget!
Nothing for
– Salaried class
– Middle class
– The poor & deprived
– Youth
– Farmers
– MSMEs— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 1, 2022
इनकम टैक्स : स्टैंडर्ड डिडक्शन में कटौती भी नहीं
बजट में व्यक्तिगत आयकर दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया। मिडल क्लास को लगा था कि कोविड महामारी के बीच मानक कटौती (स्टैंडर्ड डिडक्शन) की सीमा में बढ़ोतरी की जाएगी। हालांकि, सीतारमण ने मानक कटौती को भी पहले जैसे रखा। फिलहाल मानक कटौती की सीमा 50,000 रुपये है। कॉरपोरेट कर की दरों में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि, नवगठित विनिर्माण इकाइयों के लिए 15 प्रतिशत की रियायती कर दर को एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है।
छोटे कारोबारियों और एमएसएमई सेक्टर के व्यापारियों को राहत नहीं
चेंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के चेयरमैन बृजेश गोयल ने कहा कि बजट से देश के 5 करोड़ व्यापारियों को भारी निराशा हुई है। कोरोना की वजह से ट्रेडर्स आर्थिक मुसीबतों से जूझ रहे हैं। छोटे कारोबारियों और एमएसएमई सेक्टर के व्यापारियों को अलग से कोई राहत पैकेज नहीं मिला। कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए कई घोषणाएं की गई हैं, जबकि आम व्यापारियों पर ध्यान नहीं दिया। बड़े उद्योगपतियों का ख्याल रखा गया है। इसे कॉर्पोरेट बजट भी कह सकते हैं। जीएसटी को लेकर भी कोई राहत नहीं मिली। व्यापारी लंबे समय से जीएसटी में सरलीकरण की मांग कर रहे थे, इसमें भी रियायत नहीं दी।’
बजट पर आ रहीं सोशल मीडिया यूजर्स की प्रतिक्रियाएं सब जाहिर करती हैं। बहुत से लोगों ने निराशा जताते हुए लिखा कि मिडल क्लास और सैलरीड कर्मचारियों को कुछ हाथ नहीं लगा। क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता युवाओं के बीच ज्यादा है, ऐसे में उसपर 30% टैक्स लगाने पर भी तीखे रिएक्शंस देखने को मिल रहे हैं। इनकम टैक्स दरों में बदलाव न करने के लिए भी सीतारमण को सोशल मीडिया पर गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। देखिए चुनिंदा प्रतिक्रियाएं