नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने पंजाब के खालिस्तान समर्थित संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ पर प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्र सरकार ने संगठन के अलगाववादी रवैये के चलते इस पर बैन लगाया है।
केंद्र सरकार ने अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन आदि देशों के कुछ कट्टरपंथी सिखों द्वारा चलाए जा रहे इस संगठन को अलगाववादी गतिविधियों के चलते यूएपीए ऐक्ट 1967 की धारा 3(1) के तहत यह कार्रवाई की है।
सरकार ने कार्रवाई के तहत संगठन पर 12 एफआईआर दर्ज की हैं, संगठन के 39 लोगों को गिरफ्तार किया है और इसके समर्थन में चल रहे कई सोशल मीडिया अकाउंट को ब्लॉक भी किया है।
न्यूज एजेंसी एएनआई ने गृह मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से बताया है कि वॉन्टेड खालिस्तानी आतंकी परमजीत सिंह पम्मा को भारत-इंग्लैंड मैच के दौरान देखा गया था।
पम्मा भी इस संगठन से जुड़ा रहा है। केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार समेत कई राज्य सरकारों के साथ चर्चा करके इस संगठन पर बैन लगाया है। कई अन्य सिख संगठनों ने ‘सिख फॉर जस्टिस’ की गतिविधियों पर सवाल उठाया था।
गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि सिख फॉर जस्टिस के लोग अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए करतारपुर कॉरिडोर का इस्तेमाल करना चाहते थे।
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि पंजाब पुलिस और एनआई ने पंजाब में सक्रिय इस संगठन के कई मॉड्यूल को खत्म किया है।
जांच में पता चला है कि इस संगठन की गतिविधियों को गुरपतवंत सिंह पन्नुन, हरमीत सिंह और परमजीत सिंह पम्मा की तरफ से मदद मिल रही थी।
सूत्रों ने यह भी बताया कि संगठन और इसके अलगाववादी अजेंडे ‘रेफरेंडम 2020’ को पाकिस्तान से समर्थन मिल रहा था।
‘एसएफजे’ और ‘रेफरेंडम 2020’ की आधिकारिक वेबसाइट कराची स्थित एसएफजे कार्यकर्ताओं की वेबसाइट से सामग्री साझा कर रही थी और उसी पाकिस्तानी वेबसाइट से जुड़ी हुई थी।
अप्रैल में मोदी सरकार के अनुरोध पर पाकिस्तान ने इस संगठन पर बैन लगाया था। हालांकि इस बात के कभी भी पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं कि पाकिस्तान इस संगठन को बैन किया है।
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई कई बार इस संगठन के जरिए भारत में माहौल बिगाड़ने का प्रयास कर चुकी है। भारत करतारपुर कॉरिडोर को लकर 14 जुलाई को होने वाली भारत-पाक अधिकारियों की बैठक में इस मुद्दे को उठा सकता है।
केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार समेत कई राज्यों की सरकारों से चर्चा के बाद इस संगठन पर बैन लगाया है।
इसके बाद पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार के इस कदम की तारीफ करते हुए कहा कि भारत विरोधी और आईएसआई समर्थित अलगाववादी संगठनों से देश को बचाने की दिशा में यह पहला कदम है। राज्य सरकार केंद्र के इस फैसले का समर्थन करती है।