केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में कहा कि जनता को अच्छी सड़कें चाहिए तो टोल चुकाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि टोल जिंदगी भर बंद नहीं हो सकता। टोल की राशि कम ज्यादा हो सकती है। गडकरी ने आगे कहा कि टोल का जन्मदाता मैं हूं।
नितिन गडकरी मंगलवार को लोकसभा में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के लिए धनराशि की मांगों को लेकर सवालों का जवाब दे रहे थे। गडकरी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर आपको अच्छी सेवाएं चाहिए तो उसकी कीमत अदा करनी पड़ेगी क्योंकि सरकार के पास पर्याप्त धनराशि नहीं है।
गडकरी अपने मंत्रालय के लिए अनुदान की मांग पर चर्चा का जवाब दे रहे थे। गडकरी के मुताबिक राजमार्ग और भवन निर्माण क्षेत्र में प्रगति दोगुनी हो चुकी है। यह बहुत बड़ी प्रगति है। हर परियोजना हमारे लिए प्राथमिकता है। हम उसे पूरा करेंगे।
उन्होंने कहा हम 22 ग्रीन एक्सप्रेसवे बना रहे हैं। इनमें से दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे एक है। इसके जरिए दिल्ली से मुंबई की दूरी 12 घंटे में तय करना संभव हो पाएगा।
यह गुड़गांव से शुरू होकर सवाई माधोपुर, अलवर, रतलाम, झाबुआ, बड़ोदरा से होकर मुंबई जाएगा।
गडकरी ने कहा कि दिल्ली-मुंबई मार्ग देशभर में तैयार किए जा रहे ग्रीन एक्सप्रेस हाइवे नेटवर्क का ही एक हिस्सा है।
गडकरी ने बताया कि अमेरिका के सैन फ्रैंसिस्को, जर्मनी और स्वीडन जैसे देशों की तरह ही देश में भी माल ढुलाई का अनोखा रास्ता तैयार होगा।
गडकरी का कहना है कि ग्रीन हाइवे के जरिये माल ढुलाई की लागत घट जाएगी क्योंकि इसपर ट्रेनों जैसे इलेक्ट्रिक सिस्टम से ट्रकों का संचालन किया जाएगा।
नितिन गडकरी ने कहा कि केंद्र सरकार में सड़क, पोत परिवहन और जल संसाधन के क्षेत्रों में 17 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं को अवार्ड किया गया, लेकिन एक रुपये का भ्रष्टाचार नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि पिछले 5 साल में सरकार ने 40 हजार किलोमीटर हाइवे का निर्माण किया। कुछ सदस्यों ने देश के अलग-अलग हिस्सों में टोल से जुटाई रकम पर चिंता जताई थी।
गडकरी ने कहा कि उन क्षेत्रों में टोल लिया गया जहां लोग यह राशि दे सकते हैं। इन पैसों से ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में सड़कें बनाई जा रही हैं।
गडकरी ने कहा, “मैं सदन को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री ने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए जो प्राथमिकता तय की थी उसके बहुत अच्छे नतीजे आए हैं।”
हालांकि गडकरी ने भूमि अधिग्रहण को प्रमुख समस्या बताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को इसका समाधान करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि 80 फीसदी तक जमीन अधिग्रहण के बिना हम किसी परियोजना को आगे नहीं बढ़ाते। इस सिद्धांत का कड़ाई से पालन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हालांकि सरकार ने पहले से रुकी हुई परियोजनाओं से संबंधित 95 फीसदी समस्याएं खत्म की हैं। इससे बैंकों का 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक एनपीए (गैर निष्पादक संपत्तियां) होने से बचा। जिसके बाद 90 फीसदी परियोजनाएं तेजी से आगे बढ़ रही हैं।