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Friday, November 22, 2024

“विशिष्ट” लोगों के अवैज्ञानिक कुतर्क

भारतीय वैज्ञानिकों ने अपनी योग्यता के बल पर चन्द्रमा पर पताका फहराने के लिए अपनी कमर कस ली है। देश के शिक्षित व योग्य युवाओं के घोर परिश्रम की बदौलत भारतवर्ष दुनिया में पहले से अधिक मज़बूत स्थिति में नज़र आ रहा है। देश में मौजूद अनेक आई आई टी व अन्य कई शिक्षण संस्थान प्रत्येक वर्ष देश को तमाम ऐसे युवा व होनहार वैज्ञानिक इस देश को दे रहे हैं जो देश की तरक़्क़ी में अपना बेशक़ीमती योगदान कर रहे हैं। देश के विकास का मुख्य आधार शिक्षा तथा विज्ञान ही है। परन्तु अफ़सोसनाक बात यह है कि कई ज़िम्मेदार लोग इस हक़ीक़त को झुठलाने तथा अपने अन्धविश्वास व अवैज्ञानिकता भरे विचारों से लोगों को गुमराह करने की कोशिश में लगे हुए हैं। कभी कभी ऐसे लोग जिनमें कि अनेक जनप्रतिनिधि व ‘विशिष्ट’ लोग भी शामिल हैं, ऐसे बयान देते हैं जो हास्यास्पद होने की वजह से पूरे देश को हंसी का पात्र बनाते हैं। पिछले दिनों एक ऐसा ही बयान भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर द्वारा दिया गया जो न केवल अवैज्ञानिक व अतार्किक था बल्कि अज्ञानतापूर्ण भी था।

26 अगस्त को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रदेश भाजपा कार्यालय में पूर्व वित्तमंत्री एवं भाजपा नेता अरुण जेटली तथा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौड़ को श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु एक श्रद्धांजलि सभा रखी गयी थी. इसमें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज चौहान सहित प्रदेश भाजपा के अनेक बड़े नेताओं ने भी भाग लिया। सभी उपस्थित प्रमुख नेताओं ने दिवंगत नेताओं को अपने अपने शब्दों में श्रद्धांजलि दी तथा देश व पार्टी के लिए दिए गए उनके योगदान को याद किया। परन्तु वक्ताओं की कड़ी में जब भोपाल की चर्चित सांसद प्रज्ञा ठाकुर का नंबर आया तो उन्होंने एक ऐसा बेतुका बयान दे डाला जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, ‘मैं जब चुनाव लड़ रही थी तब एक महाराज जी आए थे, उन्होंने कहा था ये बहुत बुरा समय चल रहा है. आप अपनी साधना को बढ़ा लो. विपक्ष एक “मारक शक्ति” का प्रयोग आपकी पार्टी और उसके नेताओं के लिए कर रहा है ऐसे में आप सावधान रहें.’ प्रज्ञा ठाकुर ने आगे कहा कि मैं यह बात भूल गई थी, लेकिन अब जब मैं ये देखती हूं कि हमारी पार्टी के नेता यूं एक के बाद एक जा रहे हैं तो मुझे लग रहा है कि कहीं ये सच तो नहीं? ये सच है कि हमारा शीर्ष नेतृत्व हमारे बीच से असमय जा रहा है.”

गोया प्रज्ञा ठाकुर के मुताबिक़ भाजपा नेताओं की मृत्यु के लिए भी विपक्ष ज़िम्मेदार है। संतोषजनक तो यह है कि उन्होंने पूरे विपक्ष को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया अन्यथा यदि वे पंडित नेहरू को ही इसके लिए अकेले भी ज़िम्मेदार ठहरा देतीं तो भी कोई आश्चर्य की बात नहीं थी। उनके इस बयान से यह तो ज़ाहिर होता ही है कि तंत्र मन्त्र विद्या से कोई न कोई ऐसा उपाय किया जा सकता है जिससे “मारक शक्ति” पैदा हो। लगता है प्रज्ञा ठाकुर भी इस शक्ति को हासिल कर चुकी हैं। तभी उन्होंने यह दावे भी किये हैं कि ए टी एस प्रमुख हेमंत करकरे को उन्होंने ही श्राप दिया था जिससे वह 2008 में मुंबई के ताज होटल में 26/11 के हमले में पाक प्रायोजित आतंकवादियों के हाथों शहीद हुए थे। उनके इस विवादित एवं शहीद का अपमान करने वाले बयान के बाद ही यह सवाल भी पूछे जाने लगे थे कि जब प्रज्ञा ठाकुर के श्राप में इतनी शक्ति है तो उन्होंने ऐसा ही श्राप अजमल क़साब व हाफ़िज़ सईद जैसे आतंकवादियों को क्यों नहीं दिया। यदि वे समय पूर्व इन्हें श्राप दे देतीं तो 26/11 के मुंबई हमले में 160 से अधिक लोगों की जानें बच गयी होतीं। प्रज्ञा ठाकुर गाय की पीठ पर हाथ फेरने से कैंसर रोग ठीक होने का दवा भी करती रही हैं।

इसके सुबूत में वे स्वयं को इससे लाभान्वित हुआ भी बताती हैं। वे गाय के दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर के मिश्रण से तैयार पंचगव्य के सेवन द्वारा भी कैंसर व अन्य रोगों के उपचार का दावा करती रही हैं। यदि प्रज्ञा ठाकुर के यह दावे सही हैं तो देश और दुनिया भर के कैंसर अस्पतालों में इन विधियों का उपयोग क्यों नहीं किया जाता।अमरीका जैसे शोध में अग्रणी रहने वाले देश गौमूत्र व पंचगव्य पर शोध क्यों नहीं करते। या दुनिया के अन्य देश इन मान्यताओं या विश्वासों को स्वीकृति क्यों नहीं देते। जबकि यही अमेरिका नीम और हल्दी जैसी गुणकारी चीज़ों का भरपूर लाभ उठा रहा है। यहाँ सवाल यह है कि हमारे देश के प्रगतिशील व वैज्ञानिक सोच रखने वाले युवाओं पर भोपाल जैसे महानगर से निर्वाचित होकर आने वाली प्रज्ञा ठाकुर जैसी जनप्रतिनधि के ऐसे अतार्किक व अवैज्ञानिक “उपदेशों” का क्या प्रभाव पड़ेगा ?

दो वर्ष पूर्व जब चीन की सेना ने सिक्किम सेक्टर में भारतीय सीमा में डोकलाम क्षेत्र में घुसपैठ की थी उस समय राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश ने चीनी सेना का मुक़ाबला मंत्रोच्चारण के द्वारा करने की बात कही थी। संघ नेता इंद्रेश ने कहा था कि “चीन एक असुर शक्ति है अतः उसका मुक़ाबला करने के लिए सभी देशवासी इस मन्त्र का जाप करें कि- “कैलाश,हिमालय और तिब्बत चीन की असुर शक्ति से मुक्त हों “। उनके अनुसार इस मन्त्र से हमारी ऊर्जा बढ़ेगी और चीन का नुक़्सान होगा। यदि इस कथन में ज़रा सी भी सच्चाई है तो सत्ता में आने के बाद बड़े बड़े वैज्ञानिक व सैन्य शोध संस्थानों पर पैसे ख़र्च करने के बजाए तंत्र मन्त्र विद्या वाले बड़े संसथान तैयार किये जाने चाहिए। इन मन्त्रों का उच्चारण देश की चारों ओर की सीमाओं पर,कश्मीर व अन्य आतंक प्रभावित राज्यों में तथा नक्सल व माओवादी हमलों को रोकने के लिए क्यों नहीं किया जाता।

हमारे देश में मंत्रशक्ति से जुड़ी सोमनाथ मंदिर की एक प्राचीन घटना बेहद प्रसिद्ध है।बताया जाता है कि महमूद ग़ज़नवी ने सन 1024 में लगभग पांच हज़ार की सेना के साथ सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया था। उसने मंदिर की बेशक़ीमती सम्पत्ति लूटी थी । जिस समय ग़ज़नवी ने आक्रमण किया बताया जाता है कि उस समय लगभग पचास हज़ार भक्तजन मंदिर के अंदर हाथ जोड़कर पूजा अर्चना कर रहे थे। वे ग़ज़नवी की लुटेरी सेना से लड़ने के लिए भी तैयार थे। परन्तु मंदिर के पुजारियों ने उन्हें आश्वस्त किया की उनके द्वारा किये जा रहे मंत्रोच्चारण से ग़ज़नवी व उसकी लुटेरी सेना का अंत हो जाएगा। ग़ज़नवी की सेना के मंदिर में प्रवेश करने तक मंदिर के सभी पुजारी बुलंद आवाज़ में मंत्रोच्चारण करते रहे। पुजारियों ने भक्तों को भी लड़ने नहीं दिया। नतीजतन तंत्र मन्त्र विद्या निष्प्रभावी साबित हुई। पुजारियों सहित मंदिर में मौजूद हज़ारों भक्तों की हत्या कर दी गयी। इसी हमले में ग़ज़नवी ने मंदिर की बेशक़ीमती संपत्ति लूट ली। उस समय से लेकर आज तक इतिहास के उस खंड को तो याद किया जाता है जिसमें ग़ज़नवी को मंदिर पर आक्रमण करने वाला लुटेरा व घुसपैठिया बताया जाता है परन्तु इतने प्रसिद्ध व सिद्ध ज्योतिर्लिंग की रक्षा हेतु पढ़े गए मन्त्रों की असफलता का उल्लेख नहीं किया जाता।

ऐसी तमाम अवैज्ञानिक व तर्कहीन बातें इन दिनों अनेक विशिष्ट लोगों के मुंह से निकलती सुनाई दे रही हैं। कभी प्रधानमंत्री से लेकर और कई बड़े नेता व विशिष्ट लोग गणेश सर्जरी को विश्व का पहला बड़ा सर्जिकल ऑपरेशन बताते हैं तो कभी राजयपाल जैसे पद पर बैठा व्यक्ति कहता है कि मोरनी मोर के आंसू पीकर गर्भवती होती है तो कभी सीता जी को पहला टेस्ट ट्यूब बेबी बता दिया जाता है। मिसाइल और विमान की टेक्नोलॉजी भी प्राचीन भारत की खोज का नतीजा बताई जाती हैं। यह और बात है कि पूरा विश्व इन बातों को गंभीरता से लेने के बजाए ऐसी बातों पर हँसता ज़रूर है। ख़ास तौर पर उस स्थिति में जब ऐसी अवैज्ञानिक व तर्कहीन बातें देश के जनप्रतिनिधियों व विशिष्ट व्यक्तियों द्वारा की जाती हों। इससे देश के प्रगतिशील व वैज्ञानिक सोच रखने वाले वह युवा भी भ्र्मित होते हैं जिनके कांधों पर देश का भविष्य टिका हुआ है।
:-निर्मल रानी

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