अमेठी- उत्तर प्रदेश के अमेठी बच्चों के हिस्से का पोषाहार खाकर जनपद के काले कारोबारी तंदुरुस्त हो रहे हैं। अफसरों से लेकर आंगनबाड़ी केंद्रों तक इसके लिए बड़ी साठगांठ चल रही है। बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिए सरकार हर महीने जिले में लाखो रुपये के पोषाहार बांट रही है फिर भी कुपोषण दूर नहीं हो रहा।
दरअसल बड़े पैमाने पर पोषाहार की कालाबाजारी हो रही है। यह काम बड़े ही संगठित तरीके से सालों से चल रहा है। जिसकी वजह से जिले में पोषण मिशन कामयाब नहीं हो पा रहा है। करोड़ों रुपये की इस कालाबाजारी पर बाल एवं महिला विकास विभाग के अधिकारी लगाम नहीं लगा पा रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो बड़े पैमाने पर पोषाहार बेचने की सेटिंग तो जिले में ही हो जाती है। इसके बाद बचा खुचा पोषाहार सुपरवाइजर और आंगनबाड़ी स्तर पर बिकता है। पोषाहार वितरण में ऊपर से नीचे तक कई स्तरों पर कटौती होती है। इसको लेकर बीच-बीच में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और अफसरों में तनातनी भी होती है और शिकायतें भी आती है। विभाग अपने स्तर पर अभी भी कार्रवाई को मुस्तैद नजर नहीं आता।
बाजार में बिक रहा पुष्टाहार-
जनपद के आंगनबाड़ी केंद्रों पर पात्रों को लाभ नहीं मिल रहा है। केंद्रों पर बांटने के लिए आधा पुष्टाहार बाजारों में बेंचा जा रहा है जिन्हें मवेशियों का निवाला बनाया जा रहा है। वहीं सेंटरों पर बच्चों के लिए बाल विकास योजना का संचालन महज कागजी साबित हो रहा है। जनपद में कई गांव के सेंटरों पर पोषाहार बंटने के बजाय जानवरों को खिलाया जा रहा है। अभी जनपद के शाहगढ़,शुकुल बाजार और मुसाफिरखाना, के बाज़ारो में पोषाहार की बिक्री धड़ल्ले की चल रही थी लेकिन समाचार पत्रों में खबर छपने के बाद काले कारोबारी सावधान हो गये।
राहुल के गढ़ अमेठी में हर चौथा बच्चा कुपोषित निकला-
अभी विगत वर्ष में राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत अमेठी जिले में शून्य से पांच वर्ष तक के कुल 206192 बच्चे चिन्हित किए गए थे दो चरणों में चले कार्यक्रम में कुल 194075 बच्चों का वजन कराया गया था। इनमें 135290 बच्चे सामान्य पाए गए थे जबकि 50925 बच्चे कुपोषित पाए गए। इस हिसाब से जिले का हर चौथा बच्चा कुपोषित निकला। जबकि पूरे जिले में 7860 बच्चे अति कुपोषित की श्रेणी में पाए गए थे। इतने बड़े पैमाने पर कुपोषण व अति कुपोषण के शिकार बच्चे पाए जाने पर महकमे में हड़कंप भी मच गया था ।
रिपोर्ट- @राम मिश्रा