लखनऊ- यूपी विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे अपने अगले चरणों की और बढ़ रहा है, वैसे- वैसे सत्तारूढ़ दल सपा और बसपा के चुनावी भाषणों से विकास का मुद्दा दूर होता नज़र आ रहा है।
पश्चिम यूपी में चुनाव के दौरान मुस्लिम वोट पाने के लिए अखिलेश (गठबंधन) और मायावती ने हर दाव चला है। अब इनके चुनावी भाषणों में विकास की बातो में आई कमी साफ देखी जा रही है। इस चुनाव में मुस्लिमो का अधिक से अधिक वोट हासिल करने की बेचैनी साफ दिख रही है।
इस बार यूपी चुनाव में चुनाव आयोग की सख्ती और गम्भिर शिकायतो पर तुरंत कार्यवाही कही नज़र नहीं आ रही है। यूपी में कई जिलो में काफी समय से तैनात अधिकारीयो पर भी मनमर्जी करने के आरोप लग रहे है। कई जिलो में अधिकारियो पर चुनाव प्रभावित करने के सीधे आरोप पर भी चुनाव आयोग खामोश है।
जनता भी माया, अखिलेश+राहुल द्वारा सिर्फ मुस्लिम-मुस्लिम किये जाने को अब समझ रही है। पश्चिम यूपी में पिछले दो चरणों में हुए चुनाव में मुस्लिम वोटो में बिखराव साफ देखा जा रहा है।
सपा- बसपा द्वारा मुस्लिम-मुस्लिम करने से अब अन्न जातियाँ इनके खिलाफ लामबंध होती नज़र आ रही है। पीएम मोदी की रैलियों में आ रही भरी भीड़ इसका साफ़ नमूना है। इससे पता चलता है की जनता मोदी की विकास नीतियों और प्रबल इच्छाशक्ति से खुश है। वही दूसरी और अन्न पार्टियो द्वारा भड़काने के बावजूद ग्रामीण जनता नोटबंदी के मुद्दे से अब खुश दिख रही है।
वही दूसरी ओर राहुल+अखिलेश की साझा मीटिंगो में भीड़ का कम आना भी इन नेताओ के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। अब राहुल और अखिलेश अलग-अलग मीटिंग कर रहे है। वही अभी तक प्रियंका ग़ांधी भी डिम्पल यादव के साथ एक मंच पर नहीं दिखी। मैंने पूर्व में लिखा था की प्रियंका गांधी किसी के साथ अपना मंच साझा नहीं करेगी और अपनी पारिवारिक (रायबरेली और अमेठी) सीटो पर ही प्रचार करती दिखेगी।
यूपी में इस बार के विधानसभा के चुनाव में बूथ कैपचरिंग/ बूथ पर वोटिंग के दौरान गोली चलने/ वोटरो को बूथ से भगाना/ मारपीठ सहित चुनाव में गड़बड़ियों की खबरे बढ़ी है, जो स्वस्थ लोकतंत्र के लिए घातक है।
अब यूपी की जनता का रुझान दिन प्रतिदिन पीएम मोदी से प्रभावित नज़र आता दिख रहा है और यहाँ भाजपा का ग्राफ तेजी से बढ़ता नज़र आ रहा है।
रिपोर्ट- @शाश्वत तिवारी