नई दिल्ली- यूपी के राज्यपाल राम नाईक के शब्दों बाण मुंबई की राजनीति में नया विवाद पैदा कर गए हैं। नाईक ने ‘चरैवेती चरैवेती’ नाम से किताब लिखी है। किताब में अपनी जिंदगी के अहम पलों का जिक्र करते हुए उन्होंने दावा किया कि, 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हारने के लिए माफिया सरगना दाऊद इब्राहीम की मदद ली गई। राम नाईक का सीधा निशाना अभिनेता और कांग्रेस के पूर्व सांसद गोविंदा पर है। गोविंदा 2004 के चुनाव में उत्तर-मुंबई लोकसभा क्षेत्र से राम नाईक को हराकर सांसद बने थे। नाईक की किताब का हाल ही में मुंबई में विमोचन हुआ था।
राम नाईक के इस खुलासे पर महाराष्ट्र सरकार को संज्ञान लेना पड़ा है। गृह राज्यमंत्री राम शिंदे ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि जरूरत पड़ी तो इन आरोपों की जांच करेंगे।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट में पेट्रोलियम मंत्री का पदभार संभाल चुके नाईक ने अपने इस संस्मरण में लिखा कि मुंबई उत्तर सीट पर महज 11,000 वोटों से हुई हार को स्वीकार करना उनके लिए काफी मुश्किल था। इससे पहले वह इस सीट पर लगातार तीन बार से जीतते रहे थे। उनका आकलन है कि उनकी इस अप्रत्याशित हार की पीछे अंडरवर्ल्ड का हाथ था।
राम नाईक के आरोप के बाद हाशिए पर जा चुके बॉलीवुड अभिनेता गोविंदा अचानक चर्चा में आ गए हैं। अपने खुलासे के लिए उन्होंने टीवी पर आने के बजाय ऑडियो क्लिप का सहारा लिया। जिसमें वे ये कहते सुने जा सकते हैं कि, क्योंकि जो चीज देश की न्यायिक व्यवस्था नहीं कह रही, जो पुलिस नहीं कह रही, वो राम नाईक कैसे कह रहे हैं? वो अपनी हार को इतना ज्यादा दुखद कैसे ले सकते हैं, कि एक व्यक्ति की जीत का श्रेय वो अंडरवर्ल्ड दे दें। गोविंदा ने यह भी गुजारिश की है कि उन्हें बेवजह बदनाम न किया जाए।
वैसे राम नाईक 2004 के बाद 2009 में भी कांग्रेस के उम्मीदवार संजय निरुपम से हार चुके हैं। इसके बाद उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया। राम नाईक के बारह साल पुराने आरोपों के बाद पुल के नीचे से काफी पानी गुजर गया है, लेकिन फिर भी जाते-जाते यह आरोप राजनीति और अंडरवर्ल्ड की चर्चित सांठगांठ की तरफ इशारा तो कर ही रहे हैं। [एजेंसी]