अमेठी. शिक्षा मित्रों के समायोजन को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत के 48 घंटे पहले आए फैसले के बाद यूपी के अमेठी में एक के बाद एक दो शिक्षा मित्रों की मौत का मामला प्रकाश में आया है। एक दिव्यांग शिक्षा मित्र ने जहर खा लिया। मृतक के पास से मिले सुसाइड नोट में इसका कारण जिंदगी से हार को मानना बताया है। इस हादसे के बाद से घर में मातम पसरा पड़ा हैं। आपको बता दें कि बुधवार को ब्लाक संग्रामपुर में भी एक शिक्षिका की हार्ट अटैक से मौत हुई थी।
आगे पढ़े क्या है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार जामो थाना अन्तर्गत ग्राम सभा कटारी के प्राथामिक विद्यालय हरदासपुर में समायोजित दिव्यांग सहायक अध्यापक महेश कुमार ने देर रात पायज़न खाया और फिर अपनी साइकिल से घर से दूर नाले में जाकर छलांग लगा दिया। यहां घर वालों को इस सबकी कानों-कान ख़बर नहीं। सुबह जब परिजनों ने उसे लापता पाया तो तलाश शुरु किया। घर से दूर नाले की पुलिया के पास मिली साइकिल से शिनाख्त हुई कि वो यही आसपास है। उधर तब तक सूचना पाकर डायल 100 की टीम मौके पर पहुंच गई। घंटों की मशक्कत के बाद उसका शव निकाला जा सका।
रात 12 बजकर 17 पर लिखा सुसाइड नोट
गौरतलब रहे कि मृतक शिक्षा मित्र महेश कुमार ने अपनी मौत से पहले रात क़रीब 12 बजकर 17 मिनट पर अपनी मौत का कारण लिखते हुए एक सुसाइड नोट छोड़ा है। जिसमें उसने जिंदगी की जंग हारने की बात लिखी है। और अपनी प्रापर्टी छोटे भाई राकेश को दिए जाने की बात लिखी है। सुसाइड नोट में स्पष्ट लिखा है कि वो खुद सल्फास खाकर अपनी जिंदगी ख़त्म कर रहा है।
अप्रैल 2017 में हुई थी शादी
महेश 5 भाईयों में चौथे नम्बर पर था। हाल ही में 9 अप्रैल 2017 को उसकी शादी रामगंज निवासी दीपमाला के साथ हुई थी। सूत्रों की मानें तो अब दीपमाला गर्भ से है। उधर इस तरह आकस्मिक मौत के बाद से घर में कोहराम मचा हुआ है। यहां बता दें कि जामो ब्लाक के बीआरसी के अनुसार महेश की नियुक्ति वर्ष 2005 में शिक्षा मित्र के रूप में हुई थी और वर्ष 2014 में सहायक अध्यापक के रूप में उसका समायोजन हुआ था।
डीएम ने की शिक्षा मित्रों से अपील संयम से काम लें
वहीं बीते बुधवार को संग्रामपुर ब्लाक में समायोजित सहायक अध्यापिका सरोजनी शुक्ला की हार्ट अटैक से मौत हुई थी। और अब समायोजित अध्यापक महेश ने सुसाइड कर लिया है। जिसको देखते हुए अमेठी के डीएम योगेश कुमार ने बातचीत में कहा है कि वो ज़िले के सभी शिक्षा मित्रों से अपील करते हैं कि इस तरह का क़दम न उठाए। संयम से काम लेकर सरकार के सामने अपना पक्ष रखें या फिर माननीय न्यायालय के सामने दुबारा पेश हों और अपनी बात न्यायालय में कहें। उन्होंने कहा कि ऐसे क़दम उठाने से कोई फाएदा नहीं है। इस दुःख की घड़ी में वो पीडित परिवार के साथ हैं।
रिपोर्ट@राम मिश्रा